पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जज राकेश कुमार का तबादला, डेढ़ महीने पहले शुरू हुए विवाद का असर, संजय करोल बनेंगे पटना के मुख्य न्यायाधीश

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जज राकेश कुमार का तबादला, डेढ़ महीने पहले शुरू हुए विवाद का असर, संजय करोल बनेंगे पटना के मुख्य न्यायाधीश

PATNA: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ए पी शाही और जज राकेश कुमार का तबादला करने की सिफारिश कर दी है. जस्टिस ए पी शाही को मद्रास हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गयी है वहीं जस्टिस राकेश कुमार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट भेजा जा रहा है. त्रिपुरा के चीफ जस्टिस संजय करोल को पटना का मुख्य न्यायाधीश बनाने का फैसला लिया गया है. पटना के चीफ जस्टिस और जज का फैसला उस विवाद का परिणाम माना जा रहा है जो तकरीबन डेढ महीने पहले शुरू हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के पास भेजी अनुशंसा

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने आज इस तबादले की अनुशंसा केंद्र सरकार के पास भेज दी. हालांकि पटना हाईकोर्ट समेत तीन हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिश की गयी है. पटना के चीफ जस्टिस ए पी शाही को मद्रास, मेघालय के चीफ जस्टिस ए के मित्तल को मध्य प्रदेश और त्रिपुरा के चीफ जस्टिस संजय करोल को पटना का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गयी है. वहीं, पटना हाईकोर्ट के वरीय़तम जजों में से एक जस्टिस राकेश कुमार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट भेजने की अनुंशसा की गयी है. हालांकि केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद ये तबादला अमल में आयेगा.

जस्टिस राकेश कुमार के फैसले के शुरू हुआ था विवाद

तकरीबन डेढ़ महीने पहले जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायपालिका की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणियां की थीं. उन्होंने रिटायर आई ए एस के पी रमैया के बेल के मामले में कहा था कि लगता है कि हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण देता है. जस्टिस राकेश कुमार ने कहा था कि जिस के पी रमैया की अग्रिम जमानत की याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ख़ारिज कर दी गई थी उन्होनें निचली अदालत से अपनी जमानत मैनेज कर लिया. जस्टिस राकेश कुमार ने ये भी कहा था कि भ्रष्ट न्यायिक पदाधिकारियों को  बर्खास्त करने के बजाय मामूली सज़ा देकर छोड़ दिया जाता है. स्टिंग में कोर्ट कर्मचारी घूस लेते पकड़े जाते हैं फिर भी उनपर कार्रवाई नहीं की जाती. जस्टिस कुमार ने स्टिंग मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. इस दौरान उन्होंने सरकारी बंगलों में हो रहे फ़िजूलखर्च का भी ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा कि जजों के सरकारी बंगलों में करदाताओं के करोड़ों रुपये साज-सज्जा पर खर्च कर दिए जाते हैं. उन्होंने अपने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और CBI निदेशक को भी भेजने का आदेश कोर्ट में दिया था. 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने की थी मध्यस्थता

जस्टिस राकेश कुमार के फैसले के बाद हाईकोर्ट में हडकंप मच गया था. तत्काल 11 जजों की फुल बेंच ने उनके फैसले को रद्द कर दिया था. इसके बाद उन्हें सुनवाई से भी अलग कर दिया गया था. हालांकि बाद में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस राकेश कुमार को बुलाकर मामले की मध्यस्थता की थी. लेकिन तभी से माना जा रहा था कि दोनों का ट्रांसफर किया जायेगा.