PATNA: पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातीय जनगणना आज से पूरे बिहार में फिर से शुरू हुई। पटना के फुलवारीशरीफ स्थित वार्ड 10 में खुद पटना जिलाधिकारी चंद्रशेखर ने इसकी शुरुआत की। पटना डीएम ने बताया कि पटना में कुल कितने लोग है सभी का डाटा उनके पास है। पटना में 13 लाख 69 हजार परिवार है। जिसमें 9 लाख 35 हजार लोगों का सर्वेक्षण किया जा चुका है। अब जो परिवार बच गये हैं उनके यहां टीम पहुंचेगी और जातीय गणना करेगी।
पटना डीएम ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर बचे हुए लोगों का सर्वेक्षण कर लिया जाएगा। आज सभी जगहों पर सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो चुका है। यह फिजिकल सर्वे है जो घर-घर जाकर किया जाएगा। जिसके बाद इसकी एंट्री पोर्टल में होगी। उसके बाद सुपरवाइजर चेक कर इसे सम्मिट करेंगे। फिर यह चार्ज लेवल ऑफिसर के पास जाएंगा। पटना में कुल 45 चार्ज ऑफिसर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रखंड विकास पदाधिकारी हैं और शहरी क्षेत्र में नगर निकाय के जो पदाधिकारी हैं वो नगर क्षेत्र को देख रहे हैं। 12741 जातीय गणना ब्लॉक बनाए गए हैं। एक गणना ब्लॉक में औसतन 700 लोग रखे गये हैं। कुल मिलाकर अभी तक फेज वन में जिसमें संख्या का डिटेल लिया गया था उसमें कुल 73 लाख की आबादी आ रही थी। परिवारों की संख्या 13 लाख 69 हजार आई थीं। इस पूरी प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए एक सप्ताह का टारगेट रखा गया है।
गौरतलब है कि बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र जारी कर कहा था कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार जाति आधारित गणना, 2022 के खिलाफ दायर सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है. ऐसे में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र संख्या-8527 दिनांक 04.05.2023 के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में बिहार जाति आधारित गणना, 2022 को अंतरिम रूप से स्थगित रखने संबंधी आदेश वापस लेते हुए कार्य पुनः तत्काल आरंभ कराने का निर्देश दिया गया है. सरकारी पत्र में कहा गया है कि जातीय गणना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए.
बता दें कि मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया। जातीय जनगणना के मामले पर पिछले 7 जुलाई से ही पटना हाईकोर्ट की बेंच ने अपना फैसला रिजर्व रखा था। मंगलवार को फैसला सुनाया गया.
इससे पहले पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने 3 जुलाई से 7 जुलाई तक पांच दिनों तक जातीय गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वालों और बिहार सरकार की दलीलें सुनी थी. इससे पहले 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले पर रोक लगा दिया था. हालांकि ये रोक अंतरिम थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि वह 3 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी.
हाईकोर्ट की रोक के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी रूख किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने का इंतजार करने को कहा था. बता दें कि नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
गौरतलब है कि बिहार में जाति की गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी. पहले फेज का काम पूरा हो गया था. इसके बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से शुरू किया गया था. इसी बीच चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था. सरकार ने कोर्ट में कहा था कि जातीय गणना का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.