PATNA : बिहार में कांग्रेस डॉ राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर समारोह आयोजित करेगी. ये वहीं डॉ लोहिया हैं जिन्होंने पूरी जिंदगी कांग्रेस के खिलाफ संघर्ष किया. देश में गैर-कांग्रेसवाद की नींव रखने वाले डॉ लोहिया ने कांग्रेस के आदर्श पंडित जवाहर लाल 'नेहरू को झट पलटने वाला नट' का तमगा दिया. सत्ता के लिए बेचैन कांग्रेस अब बिहार में अपने सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर डॉ लोहिया की पुण्यतिथि मनाने जा रही है.
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कांग्रेस का लोहिया प्रेम
दरअसल कांग्रेस बिहार में इन दिनों खुद को समाजवादी घोषित करने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन में है. कांग्रेस-राजद समेत दूसरी पार्टियों के गठबंधन ने तय किया है कि 12 अक्टूबर को पटना में डॉ राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर समारोह आयोजित किया जाये. इसके लिए आयोजन कमिटी बनी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा इसके सदस्य बनाये गये हैं. मदन मोहन झा के साथ ही कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने आज दावा किया कि लोहिया पुण्यतिथि समारोह ऐतिहासिक होने जा रहा है.
सत्ता के लिए लोहिया भी मंजूर
ये डॉ राम मनोहर लोहिया ही थे जिन्होंने देश में गैर-कांग्रेसवाद की अलख जगायी थी. उनकी ही कोशिशों का असर था कि 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस की पराजय हुई और समाजवादियों की सरकार बनी. उन्होंने ही कांग्रेसी सरकारों को उखाड़ फेंकने के लिए नारा दिया था कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं. आजादी से पहले भी लोहिया जवाहर लाल नेहरू के कट्टर विरोधी थे. 1942 के कांग्रेस के इलाहाबाद सम्मेलन में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को जमकर विरोध किया. उसी साल उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को झट पलटने वाला नट करार दिया था. आजादी के बाद भी संसद में वे जवाहर लाल नेहरू की सरकार के सबसे ज्यादा आलोचक रहे. संसद में डॉ लोहिया का उस भाषण को लोग आज भी याद करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि देश का आम आदमी आमदनी तीन आने रोज पर गुजर करता है जबकि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कुत्ते पर तीन आने रोज खर्च होता है और नेहरू पर रोजाना पच्चीस हजार रुपए खर्च होता है.इस दौरान नेहरू से उनकी काफी नोंकझोंक हुई और पंडित नेहरू ने कहा था कि डॉ. लोहिया का दिमाग सड़ गया है.
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1967 में अपनी मौत तक डॉ लोहिया कांग्रेस के सबसे बड़े विरोधी रहे. देश में अब तक कांग्रेस ने कभी लोहिया जयंती और लोहिया पुण्यतिथि नहीं मनायी होगी. लेकिन बिहार कांग्रेस के नेताओं ने नेहरू के सबसे बड़े आलोचल को याद करने के लिए समारोह आयोजित करने का फैसला लिया है.