PATNA: कोरोना काल में बालू की मांग घटी तो पांच जिलों में बालू का खनन बंद है। वहीं परिवहन विभाग ने 12 चक्का से अधिक के वाहनों के परिवहन पर रोक लगा रखी है। ऐसे में राज्य के विभिन्न जिलों में बालू खनन का काम करने वाली कंपनियां काम छोड़कर भाग रही हैं। राज्य के पांच जिलों के तकरीबन 180 घाटों पर इन कंपनियों ने एक मई। से काम बंद कर दिया है। इसका अल्टीमेटम उन्होंने पहले ही खान एवं भूतत्व विभाग को दे दिया था। ऐसे में पटना, बक्सर,सारण, रोहतास और औरंगाबाद में खनन का काम बंद है जिसके कारण बालू का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है।
खान भूतत्व विभाग ने राज्य के सभी जिलों में बालू घाटों की बंदोबस्ती के ठेके नए सिरे से कर दिया लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में पेच फंस गया। एनजीटी ने नए ठेकों पर रोक लगा रखी है। इसके खिलाफ खान एवं भूतत्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली है।
ऐसे में बार-बार पुराने बंदोबस्तधारियों के ठेकों की ही अवधि बढ़ाई जा रही है। बीते साल की तुलना में करीब 50 फीसदी अधिक पर यह अवधि बढ़ाई है। ऐसे में 1 की मांग में 25 से 30 फीसदी की कमी आई है। यहां से बड़े वाहनों से बालू का परिवहन दूसरे क्षेत्रों खासकर यूपी में भी किया जाता था। मगर परिवहन विभाग की पाबंदियों के चलते बालू ले जाने का खर्च बढ़ गया।
पटना, बक्सर और सारण में करीब 128 बालू घाटों की बंदोबस्ती करने वाली ब्रॉडसन कंपनी ने एक मई से काम करने से हाथ खड़े कर दिए। यही नहीं रोहतास व औरंगाबाद में बालू खनन का काम करने वाली अदिति मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड भी एक मई से काम बंद कर चुकी है। इस तरह राज्य के 180 बालू घाटों पर बंदोबस्ती के जरिए खनन का काम पूरी तरह ठप है। लेकिन इसके बावजूद बालू का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है।