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DELHI : पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन केस में कोर्ट की अवमानना के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। अदालत ने सुनवाई के बाद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना केस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। दोनों के ऊपर कोर्ट की अवमानना का आरोप है।
दरअसल, पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी है। अखबारों में पतंजलि की तरफ से सार्वजनिक माफीनामा भी प्रकाशित किया गया था। बाबा रामदेव पतंजलि के प्रमोटर हैं, जबकि आचार्य बालकृष्ण मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद थे। कोर्ट में दोनों ने उन दवाओं के भ्रामक विज्ञापन को वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है जिन दवाओं के लाइसेंस सरकार द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। जिसपर कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते का समय भी दिया है।
इस दौरान दोनों के वकील द्वारा दोनों को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की मांग की गई। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और अब उन्हें पेशी से छूट मिल गई है। वहीं एलोपैथी डॉक्टरों के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की आलोचना करने पर कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कोर्ट में माफीनामा दाखिल किया था लेकिन अदालत ने उसे अस्वीकार कर दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के स्वामित्व वाली पतंजलि को उत्तराखंड सरकार से बड़ा झटका लगा था। उत्तराखंड के औषधि नियंत्रक के लाइसेंस प्राधिकरण ने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के कुल 14 उत्पादों पर बैन लगा दिया है। दिव्य फार्मेसी के इन 14 उत्पादों पर भ्रामक विज्ञापन मामले में बैन लगाया गया है।