PATNA : बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। विभाग की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं में खर्च की गई 18 हजार करोड़ की राशि का हिसाब अब तक नहीं मिल पाया है। विभाग ने जिलों में पंचायती राज योजनाओं में खर्च के लिए जो राशि भेजी उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक नहीं भेजा गया है।
जिलों की तरफ से योजनाओं में खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे जाने पर पंचायती राज विभाग ने नाराजगी जताई है। विभाग की तरफ से सभी जिलों को यह निर्देश दिया गया है की खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराने के साथ-साथ उसका ऑडिट भी कराएं। योजना से जुड़ी जो राशि खर्च नहीं की जा सकी है उसे सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश भी दिया गया है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले चार-पांच सालों में पंचायती राज की योजनाओं पर जो राशि खर्च की गई उसका यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट अपडेट नहीं किया गया। विभाग ने यह राशि पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष, 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद खर्च के लिए भेजी थी।
उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा करने वाले जिलों में सबसे ऊपर वैशाली, रोहतास, नवादा, नालंदा, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, गया, पश्चिम चंपारण, पटना, मधुबनी, सारण और सीवान जिले हैं। हालांकि अब पंचायती राज विभाग योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन को लेकर ऑडिटरों की नियुक्ति करने जा रहा है। 500 से ज्यादा ऑडिटरों की नियुक्ति के लिए विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग से आग्रह किया है।