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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 09 Dec 2024 09:27:51 AM IST
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PATNA : देश के अंदर सुनने को तो हर दिन यह मिल जाता है कि काफी लोगों कि तरक्की हो रही है। काफी कारोबार भी लग रहे हैं। अब हर जगह कारोबारियों का बोलबोला देखने को मिल रहा है। लेकिन, क्या आपको इसके पीछे का सच मालूम है यह सवाल किया जाएगा तो जाहिर हैं कि आप कहेंगे कि मुझे तो इस बारे में उतनी जानकारी नहीं, हल्की-फुलकी बात जानते हैं। लेकिन, अब इस मामले का सच हम आपको बताने वाले हैं।
दरअसल, देश के अंदर लगभग किसी भी विभाग में काम करवाने के लिए 100 कारोबारियों में 66 को घुस देनी पड़ती है। तभी जाकर उनका काम होता है। अक आकड़ें के मुताबिक देश के अंदर केंद्र और राज्य सरकार के अंदर कारोबारियों को कानूनी, माप तौल, खाद्य, दवा और स्वास्थ्य विभाग के काम के लिए 75% कारोबारियों को घूस देने होते हैं। जबकि मजदूर और पीएफ विभाग में 69% घूस देने पड़ते हैं।
इसी तरह संपत्ति और भूमि पंजीकरण में 68%, जीएसटी अधिकारी 62%, प्रदूषण विभाग 59%, नगर निगम 57% इनकम टैक्स 47% अग्नि सामान 45% पुलिस 43% परिवहन 42% बिजली 41% का मापदंड तय किया गया है। इतने प्रतिशत की घूस देने के बाद ही कोई भी काम आगे बढ़ता है बढ़ाना फाइलें पेंडिंग लिस्ट में पड़ी रहती है।
देश में केंद्र और राज्य सरकारी कारोबार में सोवियत और निजी क्षेत्र में निवेश में तेजी लाने पर जोर दे दे वही फर्स्ट सरकारी मशीनरी कंपनियों और एक्समन से अवैध तरीके से पैसे उगाने में लगी हुई है जिसके चलते देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस ओर ईज आफ डूइंग बिजनेस जैसे प्रयासों को पलीता लग रहा है।
एक सर्वे मेघा बात भी सामने आएगी करीब 66% कंपनियों को सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है कंपनी में दावा किया कि उन्हें सप्लायर क्वालिफिकेशन, कोटेशन, आर्डर प्राप्त करने तथा भुगतान के लिए रिश्वत दे दी है। इसमें 83 फीस डिविजरट नगद और 17 फरवरी सामान और गिफ्ट के रूप में दी गई है।
इधर पिछले 12 महीने में जिन कंपनियों ने रिश्वत दी है उनमें से 54% को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया जबकि 40% में समय पर काम पूराकरने के लिए भुगतान किया है। इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के बराबर है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर डेलायट इंडिया के पार्टनर आकाश शर्मा का कहना है कि बहुत सी कंपनियों को लगता है की नीतियों और प्रक्रिया के मामले में थोड़ा पैसा देते रहने से नियम कानून के मोर्चे पर कड़ी जांच पड़ताल और जुर्माने से बच जाएंगे।