नून रोटी खाएंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे, इथियोपिया से बेगूसराय लौटे अमित ने खाई कसम

नून रोटी खाएंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे, इथियोपिया से बेगूसराय लौटे अमित ने खाई कसम

BEGUSARAI: ज्यादा पैसे कमाने के लालच में लोग अपने प्रदेश से दूर चले जाते हैं। लेकिन जब बाहर की दुनियां की हकीकत उनके सामने आती है तब उन्हें अपना प्रदेश ही याद आता है। बेगूसराय के अमित के साथ भी ऐसा कुछ हुआ कि उसने कसम ही खा लिया कि नून रोटी खाएंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे। 


दरअसल हम बात बेगूसराय के बलिया थाना क्षेत्र स्थित पहाड़पुर के रहने वाले श्यामदेव पाठक के बेटे अमित की कर रहे हैं जो ज्यादा पैसा कमाने के लिए इथियोपिया गया था। इथियोपिया अफ्रीका के सींग में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है जो सरकारी तौर पर इथियोपिया संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में जाना जाता है। यह अफ़्रीका का दूसरा सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश है और इसमें 85.2 लाख से अधिक लोग बसे हुए हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह अफ़्रीका का दसवां सबसे बड़ा देश है। दो महीने से वो इस देश में बंधक बना हुआ था। वहां से लौटने के बाद वह काफी खुश है। पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। अमित ने  बताया कि इथियोपिया में भारतीय मजदूरों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है। 


इथियोपिया से घर लौटे अमित ने अपनी पूरी कहानी बतायी। कहा कि पहले वो मुंबई में प्राइवेट जॉब करता था। तभी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लग गया। तब वह मुंबई में ही फंस गया। लॉकडाउन खत्म होने के बाद वह बेगूसराय आया जहां जॉब छूटने को लेकर वह परेशान था। एक दिन उसने साथ काम करने वाले समस्तीपुर के रहने वाले विनोद शाह से मोबाइल पर जॉब के संबंध में बातचीत की। तभी विनोद शाह ने यूपी के रहने वाला अपने जान पहचान के व्यक्ति विनोद त्रिपाठी से बात अमित की करवा दी। विनोद ने उसे इथियोपिया जाने को कहा। यह भी लालच दिया कि वहां उसे 900 डॉलर प्रतिमाह मिलेगा। खाने और रहने की सुविधा भी मिलेगी। इथियोपिया जाने के लिए उसे एक लाख रूपया बतौर कमीशन देने होंगे। विनोद त्रिपाठी और अमित के बीच बातचीत तय हो गयी। जिसके बाद 13 दिसंबर 2022 को अमित अपने घर बेगूसराय से निकला और 15 दिसंबर को इथोपिया पहुंच गया। 


इथोपिया में वो अदीस अबाबा स्थित येसु ग्लेन कपंनी में काम करने लगा जहां लोहे के छड़ बनाने का काम होता है। यहां छह महीने काम करने के बाद उसके साथ दुर्व्यवहार होने लगा। 12 घंटे उससे काम लिया जाता था और 8 महीने काम कराने के बाद 2 महीने का पेमेंट किया जाता था। जिससे उसे भारी आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ गया। घर पर पैसा भेजना भी मुश्किल हो गया। जब पैसे की मांग अमित ने कंपनी से की तो उसे प्रताड़ित किया जाने लगा। कभी सड़ा हुआ खाना दिया जाता था तो कभी काम से ही उसे लौटा दिया जाना था। यहां तक की अमित सहित 20 लोगों का वीजा और पासपोर्ट भी रख लिया गया। जब अमित ने इथोपिया भेजने वाले यूपी के रहने वाले विनोद त्रिपाठी को फोन कर  वीजा-पासपोर्ट मांगा तब विनोद त्रिपाठी ने धमकी देते हुए कहा कि भारत सरकार और एंबेसी हमलोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। सब कुछ मैनेज कर लिए हैं।


उसकी बातों को सुनकर अमित हैरान रह गया। वह एंबेसी गया और अपनी बातें वहां रखी लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। अमित ने बताया कि वहां 80 भारतीय मजदूर काम करते थे। 900 डॉलर हर महीने मजदूरी देने की लालच देकर इन्हें भी यहां बुलाया गया था। इनसे भी 8 की जगह 12 घंटे काम लिया जाता है। अमित को इथोपिया में बंधक बनाए जाने की सूचना उसके भाई मुकेश पाठक ने बेगूसराय डीएम, सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को लेटर के माध्यम से दी थी। सरकार के प्रयास के बाद एंबेसी के दबाव पर अमित की घर वापसी हो सकी। विदेश से घर आने के बाद अमित ने कहा कि नून रोटी खाएंगे लेकिन विदेश नहीं जाएंगे। अमित की पत्नी ललिता देवी का कहना है कि अब वो अपने पति को कभी विदेश नहीं जाने देगी। विदेश में ज्यादा पैसा मिलता है लेकिन हमें ऐसा पैसा नहीं चाहिए। 


अमित से जब पूछा गया उसे इथोपिया किसने भेजा था? तब अमित ने कहा कि समस्तीपुर के विनोद शाह उसका साथी है उसी ने यूपी के विनोद कुमार त्रिपाठी से फोन पर बात करवाई थी। यूपी का रहने वाला विनोद त्रिपाठी इथोपिया के उसी फैक्ट्री में जीएम के पद पर है। वही भारत से मजदूरों को इथोपिया ले जाता है। मजदूरों से 3 साल का एग्रीमेंट कराने के बाद उसे इथोपिया भेजता है। लेकिन 6 महीन काम कराने के बाद मजदूरों को प्रताड़ित किया जाने लगता है।