CHAPRA : नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से बिहार में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई ठप पड़ गयी है। स्कूलों में ताले लटक गये हैं। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी पढ़ाई की बहुत चिंता तो नहीं है लेकिन बच्चों के मम्मी-पापा परेशान है कि आखिर उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा ? ऐसे में गांव के कुछ युवा उनके लिए भगवान की तरह अवतरित हुए हैं। इन युवाओं ने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का पूरा जिम्मा उठा लिया है, गांव के मंदिर में ही उन्होनें बच्चों की पाठशाला लगा ली है।
मशरक पश्चिमी पंचायत के सियरभुक्का गांव में महज एक स्कूल हैं उत्क्रमित मध्य विद्यालय जहां शिक्षकों की हड़ताल की वजह से ताला लटक रहा है। बच्चे इस उम्मीद में रोज स्कूल जाते हैं कि आज स्कूल खुल गया होगा । लेकिन बच्चों को निराशा ही हाथ लगती हैं। लेकिन अब उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। कहते हैं न कि अगर इरादे नेक हो तो मंजिलें खुद बनती चली जाती हैं। कुछ ऐसे ही इरादों ने बच्चों की पढ़ाई को बर्बाद होने से बचा लिया है। गांव के युवाओं ने बच्चों के पढ़ाई की कमान खुद अपने हाथ में ले ली है। इन युवाओं ने गांव के मंदिर में ही बच्चों को पढ़ाने का नेक काम शुरू कर दिया है।
गांव के ही युवकोआलोक सिंह,विवेक कुमार,रंजय सिंह,मिजी सिंह,बबलू सिंह,सोनू शर्मा, विपुल कुमार,नीरज कुमार,सूरज कुमार, रविरंजन कुमार और प्रेम कुमार शर्मा ने श्याम बिहारी सिंह की अगुवाई में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक शिक्षकों की हड़ताल खत्म नहीं हो जाती वो बच्चों को पढ़ाते रहेंगे। बच्चों को पढ़ाई में पिछड़ने नहीं देंगे। इन युवाओं के जज्बे की तारीफ अब पूरा गांव कर रहा है। सभी खुले दिल इन युवाओं के पहल की सराहना कर रहे हैं।