PATNA : अभी-अभी बड़ी खबर सामने आ रही है। बिहार कैबिनेट ने नियोजित शिक्षकों के मामले में बड़ा फैसला लिया है। शिक्षकों के सेवाशर्त का मामला अब सुलझ सकता है।
बिहार कैबिनेट की बैठक में पंचायती राज संस्थानों और नगर निकाय संस्थानों के द्वारा नियुक्त शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवाशर्त सुधार हेतु विभागीय संकल्प संख्या-1529 दिनांक-11.08.2015 के तहत गठित समिति के पुनर्गठन की स्वीकृति दे दी गयी है।समिति के पुनर्गठन के साथ ही शिक्षकों के सेवाशर्त लागू करने की प्रकिया तेज हो जाएगी।
गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों को पहली जुलाई 2015 से नया वेतनमान का लाभ मिला। लेकिन सेवाशर्त तैयार करने के लिए मुख्य सचिव के स्तर पर एक कमेटी बनायी गयी, वित्त और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव भी कमेटी में शामिल थे। कमेटी की कई बैठकें हुईं। इस कमेटी के सहयोग के लिए शिक्षा विभाग की भी एक उप समिति बनी। इस उप समिति ने कई दूसरे राज्यों के नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त का भी अध्ययन किया।
मुख्य सचिव की कमेटी के समक्ष सभी नियोजित शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों का भी पक्ष लिया गया। सेवाशर्त का एक ड्राफ्ट भी बना लेकिन वर्ष 2017 में नियोजित शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के समान वेतन देने से संबंधित एक वाद पर सुनवाई में पटना उच्च न्यायालय के आदेश के प्रभाव से नियोजित शिक्षकों की नियमावली ही कायम नहीं रह सकी। फिर सरकार हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी। करीब दो साल यहां मामला चला और 2019 बीतने के महज कुछ माह पूर्व फैसला आने पर फिर से नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त की मांग तेज होने लगी।
बता दें कि बिहार के प्रारंभिक से लेकर माध्यमिक-उच्च माध्यमिक सरकारी विद्यालयों में कार्यरत करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों की चिर प्रतीक्षित सेवाशर्त की मांग लंबे समय से चली आ रही है। सेवाशर्त की सुविधा मिलते ही नियोजित शिक्षकों की प्रोन्नति का लाभ मिलेगा और हेडमास्टर तक बन पायेंगे। दूसरा बड़ा लाभ नियोजन क्षेत्र से बाहर तबादले का मिल सकता है।