PATNA : बिहार सरकार में पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार एक बार फिर राजद सुप्रीमो पर हमलावर हुए हैं. उन्होंने लालूवाद विचारधारा पर 25वां सवाल पूछा है. नीरज कुमार ने इस बार मेडिकल कॉलेज सहित ANM,GNM,पारामेडिकल, मेडिकल कॉलेज से जुड़ा पूछा है.
नीरज कुमार ने कहा कि लालू यादव ने अपने शासनकाल में केवल चरवाहा विद्यालय खुलवाया. स्कूल के नाम पर सूबे में 113 चरवाहा विद्यालय खुले लेकिन मेडिकल और पारामेडिकल कॉलेज का नामों निशान नहीं था. लेकिन जब नीतीश कुमार की सरकार बनी तो राज्य में 142 मेडिकल कॉलेज सहित ANM,GNM, पारामेडिकल, मेडिकल कॉलेज खुले.
नीरज ने कहा कि लम्बे अरसे तक बिहार में मेडिकल कॉलेज का ना खुलना, ANM कॉलेज, GNM कॉलेज, पारामेडिकल पूर्व सरकार के कार्य सूची में नहीं रहता था. स्वभाविक रूप से जनसंख्या घनत्व जैसे बिहार राज्य में संस्थाओं के निर्माण ना होने से बिहार गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. नतीजा साफ दिखता है कि सीएम नीतीश के कार्यकाल के पहले दक्षिणी भारत की बेटियां अधिकतम अस्पतालों में अपनी सेवा देती रही है, बदलते दौर में अधिकतम अस्पताल में बिहार की बेटियां नर्सिंग की सुविधा दे रही हैं.
नीरज ने बताया कि नीतीश कुमार के कार्यकाल के पहले हालात यह था कि 2001 में डॉक्टर अपनी सुरक्षा के लिए महामहिम से लेकर दिल्ली तक प्राण रक्षा की गुहार लगाते थे. आज सुदूर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर अपनी सेवा दे रहे हैं. लेकिन मेडिकल कॉलेज लम्बे अरसे तक न खुलने के बावजूद नीतीश कुमार के कार्यकाल में MBBS सहित अन्य चिकित्सा विधा के चिकित्सक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक उनकी उपस्थिति एवं स्वास्थ्य संकेतक सूचकांक में सुधार देखा जा सकता है –
1. 2005 के पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार करा रहे रोगियों की संख्या प्रति माह 39 था, अब लगभग 10 हजार प्रति माह है.
2. राजद शासनकाल में गर्भवती मॉं का प्रसव-पूर्ण देखरेख 34% था जो अब बढ़कर 52.9% हो गया है.
3. SRS 2018 के आंकड़े के अनुसार शशिु मृत्यु दर 35 से घटकर 32 हो गया.
4. राजद शासनकाल में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में 22% बच्चे का जन्म होता था, आज यह आंकड़ा 76.2% तक पहुँच गया.
5. वर्ष 2005-06 में जहॉं मृत्यु दर प्रति हजार 61 था व अब 32 हो गया जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है.
6. मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 312 था जो वर्तमान में घटकर 149 हो गया.
7. प्रजनन दर 4.3 था जो घटकर 3.2 हो गया.
8. नवजात शशिु मृत्यु दर 28 से घटकर 25 हो गया. (SRS 2018 के आंकड़े के अनुसार)
उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने ‘न्याय के साथ विकास’के सिद्धांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कायम रखते हुए हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों की नि:शुल्क उपचार हेतु ‘बाल हृदय योजना’ कियाशील कर दी गई है. मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष द्वाराराज्य के आर्थिक रूप से कमजोर सभी जातिव धर्म के लोगों के परिवारों/व्यक्तियों को ईलाज हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा रही है.
हालात यह थे कि नियमित टीकाकरण राजद शासनकाल में मात्र 18% था जो वर्तमान में बढ़कर 86% हो गया जिसके चलते टीकारण के मामले में देश के शिर्ष पॉंच राज्यों में बिहार है एवं 2010 के बाद एक भी मामला नहीं आया. आजादी के बाद पहली बार स्वास्थ्य क्षेत्र में ग्रामीण स्तर पर सभी विधानसभा क्षेत्र में पूर्व से स्वीकृत पॉंच हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर (स्वास्थ्य उपकेन्द्र) तथा एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण का निर्णय लिया गया है जिसका लागत 2060.76 करोड़ रुपया है.
NSSO के अनुसार कुल डॉक्टर के मामले में जनसंख्या अनुपात में बिहार झारखंड, राजस्थान, छतीसगढ़, हिमाचल, गुजरात, हरियाण,पंजाब,कई राज्यों से आगे है. कोविड 19 जैसी वैश्विक चुनौती में भी सरकार की कार्य नीति, जनता के संकल्प के बदौलत रिकवरी प्रतशित 98.6 है जबकि राष्ट्रीय रिकवरी प्रतशित 97.39 है. स्वास्थ्य सूचकांकों में दिन प्रति दिन सुधार से इनकार नहीं किया जा सकता परन्तु चुनौतियॉं बरकरार हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास का नतीजा स्वास्थ्य संकेतक के सुधार के रूप में देखा जाना आवश्यक है. चिकित्सीय संसथान का निर्माण आधारभूत संरचना में व्यापक निवेश स्वास्थ्य से जुड़े चिकित्सक,नर्स, व स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया निश्चित रूप से आने वाले दिनों में स्वास्थ्य संकेतक सूचकांक को बेहतर बनाएगी.