नीतीश राज में ईमानदार अधिकारियों की जगह नहीं! सुपरकॉप शिवदीप लांडे ने इस्तीफा दिया, दो महीने में 6 IPS अफसरों ने बिहार छोड़ा

नीतीश राज में ईमानदार अधिकारियों की जगह नहीं! सुपरकॉप शिवदीप लांडे ने इस्तीफा दिया, दो महीने में 6 IPS अफसरों ने बिहार छोड़ा

PATNA: बिहार के पुलिस महकमे से लेकर आम लोगों के बीच आज तब खलबली मच गयी जब ये खबर आयी कि आईजी शिवदीप लांडे ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. पूर्णिया के आईजी पद पर तैनात शिवदीप लांडे बिहार के सबसे चर्चित पुलिस अधिकारी थे. लेकिन अचानक से उन्होंने बिहार सरकार को अपना इस्तीफा दिया और फिर सोशल मीडिया पर भी इसका एलान कर दिया.


शिवदीप लांडे ने सोशल मीडिया पर लिखा

“मेरे प्रिय बिहार,

पिछले 18 वर्षों से सरकारी पद पर अपनी सेवा प्रदान करने के बाद आज मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है. इन सभी वर्षों में मैंने बिहार को खुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है. अगर मेरे बतौर सरकारी सेवक के कार्यकाल में कोई त्रुटि हुई हो तो मैं उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.  मैंने आज भारतीय पुलिस सर्विस (IPS) से त्यागपत्र दिया है परन्तु में बिहार में ही रहूँगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी. जय हिन्द.”


लांडे ने क्यों दिया इस्तीफा

2006 बैच के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे की 18 साल की नौकरी बेदाग रही है. उनका नाम सबसे ज्यादा चर्चे में तब आया जब वे पटना के सिटी एसपी हुआ करते थे. सिटी एसपी के तौर पर अपराधियों की नकेल कसने की उनकी कार्यशैली काफी चर्चा में रही. हालांकि बीच में वे प्रतिनियुक्ति पर अपने गृह राज्य महाराष्ट्र चले गये थे. लेकिन वहां से लौट कर बिहार आने के बाद फिर से लगातार चर्चा में बने रहे.


8 महीने में मुजफ्फरपुर से कर दिया गया था ट्रांसफर

सूत्रों की मानें तो शिवदीप लांडे के इस्तीफे की कहानी मुजफ्फरपुर से जुड़ी हुई है. करीब आठ महीने पहले राज्य सरकार ने उन्हें मुजफ्फरपुर यानि तिरहुत का आईजी बनाया गया था. मुजफ्फरपुर में उनकी पोस्टिंग के बाद अपराधियों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला. इस दौरान आधा दर्जन अपराधियों से पुलिस का मुठभेड़ हुआ और अपराधियों को गोली लगी. 


सूत्र बता रहे हैं कि शिवदीप लांडे ने मुजफ्फरपुर में एक संगठित गिरोह पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी. इस गिरोह की कारस्तानियों की फाइल बननी शुरू हो गयी थी. मुजफ्फरपुर में जमीन कब्जे से लेकर ढेर सारे अवैध कारोबार से जुड़े इस गिरोह की पहुंच कहां तक है, ये वहां का हर आदमी जानता है. इसी दौरान शिवदीप लांडे का मुजफ्फरपुर से ट्रांसफर कर दिया गया और उन्हें पूर्णिया भेज दिया गया. चर्चा ये हो रही है मुजफ्फरपुर के जिस सिंडिकेट पर शिवदीप लांडे कमान कस रहे थे, उसी ने उनका ट्रांसफर करा दिया. जाहिर है आम लोगों के बीच हो रही ये बात शिवदीप लांडे तक भी पहुंची होगी.


वैसे, शिवदीप लांडे अपने इस्तीफे के कारण पर कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं. लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि वे मुजफ्फरपुर से अपने ट्रांसफर से नाराज थे. कोई ऐसा कारण नहीं था कि किसी आईजी का 8 महीने के भीतर ट्रांसफर कर दिया जाये. मुजफ्फरपुर से ट्रांसफर के बाद ही शिवदीप लांडे का बिहार पुलिस की नौकरी से मोहभंग हुआ. इसके बाद ही उन्होंने इस्तीफे का फैसला लिया. मुजफ्फरपुर से पूर्णिया ट्रांसफर के 15 दिन बाद ही शिवदीप लांडे ने इस्तीफे का एलान कर दिया.


इमानदार अधिकारियों की जगह नहीं

बात सिर्फ शिवदीप लांडे की नहीं है. प्रशासनिक गलियारे में ये चर्चा आम है कि बिहार में इमानदार अधिकारियों के लिए जगह नहीं रह गयी है. इसके उदाहरण सामने हैं. बिहार के डीजीपी पद पर काम कर रहे आर.एस. भट्ठी ने डीजीपी जैसे सबसे अहम पद को छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पसंद किया. वे अपनी मर्जी से बिहार जैसे बड़े राज्य का डीजीपी पद छोड़ कर सीआईएसएफ में नौकरी करने चले गये. बिहार के एक पुलिस अधिकारी बी. श्रीनिवासन ने भी एडीजी का पद छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पसंद किया.


यही हाल बिहार पुलिस के सबसे खास दस्ते ईओयू यानि आर्थिक अपराध इकाई और स्पेशल विजलेंस यूनिट के एडीजी नैयर हसनैन खान का भी हुआ. नैयर हसनैन खान बिहार पुलिस का अहम पद छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गये. वहां उन्हें एसएसबी में आईजी बनाया गया है. नैयर ने बिहार पुलिस के अहम पद को छोड़ कर एडीजी से एक पोस्ट नीचे एसएसबी के आईजी का पद लेना स्वीकार किया. ऐसी ही पूर्वी चंपारण जैसे बड़े जिले के एसपी पद पर कार्यरत कांतेश मिश्रा ने भी किया. वे भी बिहार पुलिस छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गये.


बिहार पुलिस की और चर्चित अधिकारी काम्या मिश्रा ने भी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. काम्या मिश्रा भी पटना की एएसपी से लेकर दरभंगा की ग्रामीण एसपी के तौर पर काफी चर्चित अधिकारी रही थीं. लेकिन उन्होंने भी अपने पद से इस्तीफा देकर पुलिस महकमे और आम लोगों को चौंका दिया था.