Bihar election 2025 : पवन सिंह और खेसारी लाल यादव में कौन है ज्यादा अमीर? जानिए दोनों की संपत्ति और राजनीतिक जुड़ाव Train Accident: बिहार में मिलिट्री गुड्स ट्रेन के दो खाली डिब्बे पटरी से उतरे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी पटना में जिम के गेट पर झोले में मिली नवजात: मच्छरों से सूजा चेहरा देखकर जिम ऑनर ने गोद लिया, नाम रखा ‘एंजल’ Bihar Assembly Election : दूसरे चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम, 20 जिलों में तैनात 1650 कंपनियां और 4 लाख जवान UPSC IFS Mains 2025: IFS मेन्स परीक्षा 2025: UPSC ने एडमिट कार्ड जारी किया, पूरी जानकारी यहां Bihar election : बिहार चुनाव में अचानक घनबेरिया का पेड़ा बना चर्चा का स्वाद, अमित शाह ने भी की जमुई की मिठास की तारीफ; जानिए क्या है इसकी पूरी कहानी Success Story: जानिए कौन हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तदाशा मिश्रा? आखिर क्यों झारखंड में मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी Bihar election 2025 : मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट न देने पर बीजेपी का बड़ा बयान,कहा - हम इस तरह के प्रत्याशी ... Bihar Election 2025: चुनावी ड्यूटी से लौटते समय ITBP जवानों की बस धू-धू कर जली, बड़ा हादसा होते-होते टला Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में युवक की बेरहमी से हत्या, मंदिर के पास मिला शव
1st Bihar Published by: Updated Sat, 22 Oct 2022 08:29:09 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार की राजनीति में एक जामने में कभी एक दूसरे के काफी करीबी कहे जाने वाले प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बिच वतर्मान कैसा रिश्ता है, यह तो अब जगजाहिर है। इसके बाद अब नीतीश कुमार उनका नाम तक नहीं सुनना चाहते तो वहीं पीके भी बिहार के सीएम को आड़े हाथ लेने में कोई गुरहेज नहीं करते। इसी कड़ी में अब राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने मुख्यमंत्री नीतीश पर लगातार हमला करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को आड़े हाथ लिया है।
राजद नेता शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि प्रशांत किशोर की पदयात्रा का मकसद धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है। बिहार के दोनों खेमों की राजनीति से अलग एक नई राजनीति की शुरुआत के मकसद से शुरू की गई यह पद यात्रा नीतीश विरोध की राजनीति में बदलती जा रही है। उन्होंने आगे लिखा कि पीके से मैं दो मर्तबा मिला हूं, उन्हीं की पहल पर. यह उन दिनों की बात है जब वे नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने का अभियान चला रहे थे।
नीतीश को प्रधानमंत्री बनाने का था उनके पास अजीबोगरीब फॉर्मूला
शिवानंद तिवारी ने लिखा, " प्रधानमंत्री बनाने का उनका फॉर्मूला अजीबोगरीब था, उनका कहना था कि राजद और जदयू को मिल जाना चाहिए। दोनों मिल जाएंगे तो बिहार और झारखंड की 54 लोकसभा सीटों में से कम से कम 48 से 50 सीट तक जीत सकते हैं। उनके अनुसार अगले लोकसभा चुनाव के बाद पहले, दूसरे स्थान पर आने वाली पार्टी की सरकार नहीं बनेगी। तीसरे स्थान पर हमारी पार्टी रहेगी और इसकी सरकार बनने की संभावना प्रबल है। ऐसा क्यों होगा, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया और न मैंने पूछा. उन्होंने इशारों में यह भी बताया था कि हमारी सरकार बन जाएगी और नीतीश जी प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो लालू जी का मामला भी रफा दफा हो जाएगा। "
शिवानंद के अनुसार, "प्रशांत जी से मुलाकात के पहले उनकी एक छवि मेरे मन में बनी हुई थी. वह एक कुशल और सफल चुनावी प्रबंधक की छवि थी। पहली मुलाकात में ही प्रशांत की वह पुरानी छवि मेरे चित्त से उतर गई। बिलकुल काल्पनिक कहानी की तरह मुझे उन्होंने अपनी योजना समझाई। जब मैंने उनसे कहा कि जेडीयू जब तक बीजेपी के साथ है, उनसे मिल जाने का अर्थ होगा कि आरजेडी भी बीजेपी के साथ हो जाए, यह तो नामुमकिन है। प्रस्ताव पर आरजेडी में विचार किया जाए, यह कह कर उन्होंने उस बातचीत का समापन किया था. प्रशांत मुझसे मिलने आ रहे हैं, इसकी जानकारी मैंने लालू जी को दे दी थी। उन्होंने बताया था कि प्रशांत उनसे भी इस प्रस्ताव के साथ मिल चुके हैं। लालू जी ने भी प्रशांत को यही कहा था कि यह सब उसी हालत में संभव है, जब नीतीश भाजपा गठबंधन से बाहर आ जाएं। "
इसके आगे राजद नेता ने कहा कि मुझे लगता रहा कि पीके महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित हैं. कई मर्तबा उनके मुंह से गांधी का नाम सुना है. गांधीजी का नाम प्रशांत कुछ इस अंदाज में लेते हैं, जैसे उन्हें वे अपना आदर्श मानते हों. हालांकि कभी-कभी मुझे आश्चर्य भी होता था कि जो आदमी गांधी को अपना आदर्श मानता है, वह देश में आज जिस निर्लज्जता के साथ सांप्रदायिकता को ही राजनीति का मूलाधार बनाया जा रहा है, उस पर मौन कैसे है। मैंने प्रशांत की पद यात्रा का कार्यक्रम देखा तो फिर एक उम्मीद पैदा हुई। वह कठिन संकल्प की घोषणा थी। यह गांधी का रास्ता है। सचमुच प्रशांत कुछ बड़ा करने जा रहे हैं लेकिन कार्यक्रम की शुरुआत ने ही बहुत निराश किया।
शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार के सभी अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन, यह तो कल्पनातीत था बिहार की किसी भी राजनीतिक पार्टी ने प्रचार का ऐसा वल्गर प्रदर्शन कभी नहीं किया। यह देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि गांधी का नाम तो शायद प्रशांत के लिए अपने असली चेहरे को छुपाने का एक ढोंग है. नीतीश कुमार देश के अंदर जो सांप्रदायिक विभाजनकारी राजनीति हो रही है, उसका विरोध कर रहे हैं और प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं।