BEGUSARAI : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और सामाजिक न्याय की राजनीति के पुरोधा रहे कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देने का फैसला लिया है। मंगलवार की शाम को यह ऐलान हुआ था और आज उनकी जन्मशती है। ऐसे में केंद्र की इस फैसले को लेकर बिहार के सीएम ने तारीफ़ तो की लेकिन उन्होंने कहा कि यह हमारी पुरानी मांग थी। उसके बाद अब इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने बड़ा पलटवार किया है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि- आज नरेंद्र मोदी की सरकार थी इसीलिए कर्पूरी ठाकुर जैसे महान महापुरुष को भारत रत्न जैसे सम्मान प्राप्त हुए। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देकर नरेंद्र मोदी ने बिहार समेत पूरे देश के वंचितों और सामाजिक समरसता का सम्मान किया है। नरेंद्र मोदी ने एक तरफ 22 तारीख को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कर भारत के संस्कृति का पुनर्जागरण किया है। कर्पूरी ठाकुर का सम्मान नीतीश कुमार की मांग के कारण नहीं, नरेंद्र मोदी की संवेदना के कारण हुआ है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, शबरी के प्रतीक कर्पूरी ठाकुर को हमारी सरकार ने सम्मान किया। नरेंद्र मोदी ने प्रभु श्री राम से लेकर कर्पूरी जी तक को सम्मान देकर वह काम किया है जो आने वाले दिन में लोग याद करेंगे, नमन करेंगे। जिनको राजनीतिक शब्द खेलना हो खेलें, लालू जी और नीतीश जी खेलें, लेकिन यह राजनीति नहीं है। यह संवेदना से भरा हुआ सम्मान है। कर्पूरी ठाकुर राजनीतिक शब्द नहीं संवेदना का शब्द है। कांग्रेस की सरकार के पास संवेदना नहीं थी,अपने परिवार को छोड़कर दूसरों को सम्मानित देने की।
तेजस्वी यादव द्वारा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देने की मांग उठाए जाने को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा कि पिता और पुत्र दोनों ने कांग्रेस के शासन में क्यों नहीं सम्मान दिलाया। लालू यादव अपने को पुरोधा कहते हैं। आज उनके पुत्र कह रहे कि मैंने मांग उठाया है। देने वाला कौन है, उठाने से मिलता है, कांग्रेस की गोद में लालू यादव खेलते रहे, लेकिन कर्पूरी ठाकुर को सम्मान नहीं दिल पाया।
उधर, राम मंदिर को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा कि - राम स्थापित हो गए हैं और राम की लीला होगी तो दुष्टों का नाश होगा। राहुल गांधी द्वारा असम के मुख्यमंत्री के संबंध में अपशब्द का प्रयोग करने को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी बौखला गए हैं। हेमंत विश्वा शर्मा के लोकप्रियता से बौखलाए हुए हैं। इसलिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। अपने को भावी प्रधानमंत्री मानते हैं, एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के प्रति ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। जल्द ही वह फिर माफी मांगेंगे।