नीतीश के विकास की पोल खुली तो जेडीयू का सियासी दांव: फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग होने लगी, बीजेपी को फंसाने की कोशिश

नीतीश के विकास की पोल खुली तो जेडीयू का सियासी दांव: फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग होने लगी, बीजेपी को फंसाने की कोशिश

PATNA : 2017 में नीतीश कुमार रातो रात पाला बदल कर बीजेपी के साथ चले आय़े थे. इन चार सालों में नीतीश की जुबान से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग आपने सुनी है? लेकिन पिछले दो दिनों में जेडीयू के नेताओं ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की झड़ी लगा दी है. शुक्रवार को जेडीयू के केसी त्यागी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मांगा था तो शनिवार को उपेंद्र कुशवाहा ने मांग की है. जेडीयू का यू टर्न नीति आयोग की उस रिपोर्ट के बाद हुआ है जिसमें बिहार को देश का सबसे फिसड्डी राज्य करार दिया गया है. इस रिपोर्ट के बाद नीतीश कुमार फंस गये हैं लिहाजा अब बीजेपी को भी इसमें समेटने की कोशिशें शुरू हो गयी है.


उपेंद्र कुशवाहा की मांग
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष औऱ नीतीश कुमार के नये नये सलाहकार बने उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार को ट्वीट किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करके. ट्वीटर पर उन्होंने लिखा है “आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, बिहार-झारखंड विभाजन उपरांत प्राकृतिक संपदाओं का अभाव और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाओं का लगातार दंश के बावजूद नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है. लेकिन वर्तमान दर पर अन्य राज्यों की बराबरी संभव नहीं है. नीति आय़ोग की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है. अतः विनम्र निवेदन है कि 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' देने की जेड़ीयू की वर्षो लंबित मांग पर विचार करें और बिहार वासियों को न्याय दें.”


त्यागी ने भी की थी मांग
इससे पहले जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है.


नीतीश की पोल खुलने के बाद जेडीयू का यू टर्न
नीतीश कुमार 2017 में पाला बदल कर बीजेपी के साथ आय़े थे. 4 सालों से बिहार में डबल इंजन की सरकार चलने का दावा किया जा रहा है. इन चार सालों में नीतीश कुमार ने कभी बिहार को विशेष दर्जे की मांग नहीं की. वैसे नीतीश औऱ उनके सिपाहसलार बिहार में विकास की गंगा बहाने का दावा जरूर करते रहे. बिहार का विकास दर चीन से भी ज्यादा होने का दावा किया गया. लेकिन नीति आय़ोग की ताजा रिपोर्ट ने बिहार की बदहाली औऱ नीतीश कुमार के खोखले दावों की पोल खोल दी है. नीति आय़ोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है विकास के हर पैमाने पर बिहार देश में सबसे फिसड्डी राज्य है.


नीति आय़ोग केंद्र सरकार की सबसे प्रमुख संस्था है. जब उसी ने बिहार के सुशासन औऱ विकास के दावों की पोल खोल दी है तो उसके बाद नीतीश कुमार की भारी फजीहत हो रही है. तेजस्वी यादव औऱ लालू यादव जैसे नेता लगातार नीतीश को निशाना बना रहे हैं. सियासी जानकार बता रहे हैं कि नीतीश को फजीहत से बचाने के लिए जेडीयू ने फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग छेडी है. सूत्रों की मानें तो जेडीयू नेता केसी त्यागी हों या उपेंद्र कुशवाहा सब आलाकमान के निर्देश पर ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग करने में लगे हैं.


दरअसल जेडीयू इस मामले में बीजेपी को भी कसूरवार बनाना चाहती है. अभी तो सारा दोष नीतीश कुमार के मत्थे जा रहा है. सारा निशाना उन पर ही साधा जा रहा है. जेडीयू चाहती है कि दोष बीजेपी के मत्थे मढ़ा जाये. लिहाजा विशेष राज्य के दर्जे को फिर से उठाया जा रहा है.


क्या बिहार को मिल सकता है विशेष राज्य का दर्जा
केंद्र में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो 2013 में राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग पर रघुराम राजन कमेटी का गठन किया गया था. ये वही दौर था जब नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ चुके थे औऱ कांग्रेस के साथ उनके मधुर संबंध बन रहे थे. फिर भी रघुराम राजन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों को विशेष दर्जा के प्रावधान को ही खत्म कर देने की सिफारिश की थी. उसने कहा था कि पिछडे राज्यों को विशेष दर्जा देने के बदले विशेष सहायता दी जानी चाहिये. उस कमेटी की रिपोर्ट के बाद ये साफ हो गया था कि अब किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. लिहाजा इस मसले पर सियासत जरूर हो सकती है लेकिन होना जाना कुछ नहीं है.