PATNA: डीएम हत्याकांड में दोषी आनंद मोहन ने अपनी रिहाई का बदला चुकाना शुरू कर दिया है. बिहार के जिलों में घूम रहे आनंद मोहन ने नया समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आनंद मोहन ने कहा है-हिन्दू तो कोई शब्द ही नहीं है. इसका किसी धर्मग्रंथ में कोई जिक्र ही नहीं है. आनंद मोहन कह रहे हैं कि राजपूतों और मुसलमानों के बीच बहुत पुराना और गहरा रिश्ता रहा है।
दो दिन पहले आनंद मोहन रोहतास के विक्रमगंज में महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण में गये थे. आनंद मोहन ने कहा वहां राजपूतों को संबोधित करते हुए कहा- रामायण, महाभारत, गीता जैसे धर्मग्रंथों में हिंदू शब्द का जिक्र नहीं है. धर्म ग्रंथों में क्षत्रिय की चर्चा है. आनंद मोहन ने कहा कि उन्हें हैरानी है कि कुछ लोग महाराणा प्रताप को हिंदू से जोड़ रहे हैं. उनका इशारा बीजेपी की ओर था।
आनंद मोहन ने कहा कि शुरू से ही राजपूतों औऱ मुसलमानों में मजबूत रिश्ता रहा है. उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खान सूरी था जबकि अकबर का सेनापति मान सिंह था. इससे ही समझिये कि उस दौर में भी राजपूतों और मुसलमानों के बीच कितना गहरा संबंध था. आनंद मोहन का ये भाषण राजपूतों को महागठबंधन की तरफ खींचने की कोशिश मानी जा रही है. वे बिहार के यादव-मुसलमान के समीकरण में राजपूतों को जोड़ना चाह रहे हैं।
लगातार राजपूतों के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे आनंद मोहन
जेल से रिहाई के बाद आनंद मोहन लगातार राजपूतों के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं. बेटे की शादी में कुछ दिन व्यस्त होने के बाद वे बिहार के राजपूत बहुत गांवों औऱ कस्बों में घूम रहे हैं. वे राजपूत जाति से आने वाले महापुरुषों और नेताओं की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रमों में ही शामिल हो रहे हैं.
उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम अररिया जिले के फारबिसगंज में हुआ था जहां वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इसके बाद वे सहरसा में राजपूत जाति से आने वाले एक पूर्व मुखिया की प्रतिमा के अनावरण में शामिल हुए. उस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि वे ऐसे हाथी हैं जो कमल दल को रौंद देगा-तोड़ देगा.
बुधवार को आनंद मोहन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू के पाले में राजपूतों को लाने का टास्क सौंपा है. आनंद मोहन नवंबर में पटना के गांधी मैदान में रैली करने का एलान कर चुके हैं. उस रैली के बहाने वे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजपूतों को महागठबंधन के पाले में लाने की कोशिश करेंगे.