PATNA : अधिकारियों की तानाशाही के खिलाफ इस्तीफा देने का एलान करने वाले मंत्री मदन सहनी ने शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार कर दिया. जेडीयू नेताओं ने मदन सहनी को मनाने की कोशिशें की लेकिन वे मान नहीं रहे हैं. मंत्री ने एलान किया है कि वे शनिवार को पटना आकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे. हालांकि मामला प्रेशर पॉलिटिक्स का ही है. जानकारों की मानें तो मंत्री तबादले की उस सूची को मंजूर कराना चाह रहे हैं जो उन्होंने तैयार की थी. इस सूची में शामिल अधिकारियों का ट्रांसफर कराने के लिए जो खेल हुआ है वह भी धीरे धीरे सामने आने लगा है.
कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार
गुरूवार को इस्तीफा देने का एलान करने वाले मंत्री मदन सहनी उसी शाम दरभंगा रवाना हो गये थे. आज कैबिनेट की बैठक थी, जिसमें मंत्रियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शामिल होना था लेकिन मदन सहनी उसमें शामिल नहीं हुए. मदन सहनी ने कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार कर दिया.
मनाने की कोशिशें बेअसर
दरभंगा में मौजूद मंत्री मदन सहनी को मनाने की कोशिशें हुई लेकिन वे मान नहीं रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेडीयू के दो मंत्रियों ने मदन सहनी से संपर्क साधा, उन्हें पटना आने को कहा गया लेकिन वे आज पटना आने को तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा कि वे शनिवार को पटना आयेंगे. वैसे अबी तक नीतीश कुमार के स्तर से पहल किये जाने की कोई खबर नहीं है. मदन सहनी नीतीश कुमार के बीचबचाव का ही इंतजार कर रहे हैं. मदन सहनी बयान चाहे जो दे दें लेकिन हकीकत यही है कि इस्तीफे की धमकी प्रेशर पॉलिटिक्स ही है. तभी इस्तीफे की धमकी देकर मदन सहनी ने कोई लिखित इस्तीफा नहीं भेजा और पटना से दरभंगा निकल गये.
क्या चाहते हैं मदन सहनी
मंत्री मदन सहनी के करीबियों ने बताया कि इस्तीफे की धमकी देकर वे दो काम कराना चाहते हैं. पहला ये कि उनके विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद को हटाया जाये. दूसरा ये कि उन्होंने सीडीपीओ औऱ डीपीओ के तबादले की जो लिस्ट फाइनल की थी उसे मंजूर किया जाये. दरअसल तबादले की यही सूची फसाद की जड़ है. जानकार बता रहे हैं कि तबादले की इस सूची को तैयार करने में कई तरह के खेल हुए हैं. मंत्री ने जो सूची प्रधान सचिव को भेजी थी उसमें गडबड़ी ही गड़बड़ी थी. प्रधान सचिव ने उन्हें उजागर करते हुए फाइल मुख्य सचिव के पास भेज दिया है.
आसान नहीं है तबादले की सूची को मंजूरी देना
मदन सहनी भले ही जिद पर अडे हो लेकिन प्रधान सचिव ने तबादले की फाइल पर जो टिप्पणी की है उसके बाद उसे मंजूरी मिलना बेहद मुश्किल है. सूत्रों के मुताबिक प्रधान सचिव ने कई गंभीर टिप्पणी की है. अब अगर तबादला होगा भी तो मुख्यमंत्री को उसकी मंजूरी देनी होगी. लेकिन प्रधान सचिव ने जो टिप्पणी कर दी है उसके बाद मुख्यमंत्री के मंजूरी देने का सवाल ही नहीं उठता.
हालांकि काफी कम विधायकों के सहारे मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार प्रेशर में है. लिहाजा वे मदन सहनी को इग्नोर भी नहीं कर सकते. ऐसे में बीचबचाव का रास्ता ढूढा जा सकता है और प्रधान सचिव का तबादला कर मंत्री को मनाने की कोशिश की जा सकती है.