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1st Bihar Published by: 7 Updated Tue, 16 Jul 2019 02:33:27 PM IST
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DELHI : नीतीश के गृह जिले नालंदा में पुलिस हिरासत में जदयू के एक दलित नेता की मौत पर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रूख अपनाया है. आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. 12 जुलाई को नालंदा पुलिस थाने में दलित नेता गणेश रविदास का शव खिड़की से झूलता हुआ पाया गया था. पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया है लेकिन मृतक के परिजन पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं. मानवाधिकार आयोग ने पुलिस की खोली पोल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है. दरअसल गणेश रविदास को पुलिस ने अपहरण के एक मामले में हिरासत में लिया था. बाद में उसका शव थाने में ही खिड़की से झूलता हुआ पाया गया. पुलिस के मुताबिक गणेश रविदास को गांव की ही एक लड़की के अपहरण के मामले में हिरासत में लिया गया था. उसने बाथरूम जाने को कहा तो हाजत से निकाल कर उसे बाथरूम ले जाया गया, वहीं उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. लेकिन पुलिस की इस कहानी में मानवाधिकार आयोग ने कई गड़बड़ी पकड़ी है. आयोग के मुताबिक सरकार और पुलिस ने मानवाधिकार का घोर उल्लंघन किया है. नियमों के मुताबिक पुलिस कस्टडी में मौत के 24 घंटे के भीतर मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट भेजी जाती है. लेकिन बिहार पुलिस ने ऐसा नहीं किया. 6 हफ्ते में जवाब दे सरकार मानवाधिकार आयोग ने बिहार के DGP से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. क्या इस वाकये की मजिस्ट्रेट से जांच करायी गयी? पोस्टमार्टम किसने किया और क्या रिपोर्ट आयी. सरकार ने अगर कोई दूसरी जांच करायी तो उसमें क्या पाया गया? घटना की रिपोर्ट तत्काल मानवाधिकार आयोग को क्यों नहीं की गयी. गौरतलब है कि मृतक के परिजन नालंदा के थानेदार और स्थानीय चौकीदार पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं. उनके मुताबिक मृतक के शरीर पर चोट के कई निशान थे. इससे स्पष्ट है कि गणेश रविदास को थाने में बुरी तरीके से प्रताड़ित किया गया. मानवाधिकार आयोग इन तमाम आरोपों पर जबाव मांग रहा है.