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1st Bihar Published by: Updated Thu, 08 Jul 2021 03:20:21 PM IST
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PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने लालूवाद से जुड़ा तीसरा सवाल पूछा है. नीरज कुमार ने मंगलवार को पहला सवाल पशु और पशुपालकों के संबंध में, बुधवार को दूसरा सवाल स्वयं सहायता समूह और आज गुरुवार को बीज केंद्र बंद किये जाने को लेकर पूछा है.
नीरज कुमार ने लालू सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने चरवाहा विद्यालय का इस्तेमाल चारा घोटाला को संरक्षित करने के लिए किया है. उन्होंने सवाल किया है कि लालूवाद अगर विचारधारा है कि अनेक जगहों और संस्थाओं से मदद की पेशकश के बावजूद चरवाहा विद्यालय क्यों नहीं सफल हो पाया? क्या लालू यादव ने चरवाहा विद्यालय के आधारभूत संरचना के लिए मात्र एक करोड़ और चारे की सुविधा देने के लिए 6 करोड़ का बजट इसलिए रखा ताकि चरवाहा विद्यालय के नाम पर आवंटित किए चारा का पैसा भी हजम करना आसान हो सके?
नीरज कुमार ने कहा कि चरवाहा विद्यालय के नाम पर लालू सरकार ने दलित-पिछड़ों को गुमराह किया. योजना आयोग के अनुसार बिहार में चल रहे चरवाहा विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों में से 62.5% छात्र OBC, और 27.5% अनुसूचित जाति से सम्बंध रखते थे. यानी साफ़ है कि अगर चरवाहा विद्यालय फलता फूलता तो सर्वाधिक लाभ समाज के पिछड़े वर्ग को होता पर लालूवाद ने चरवाहा विद्यालय बनाने की घोषणा करने की नौटंकी करने के बाद इसे बढ़ावा देने के लिए किया क्या था? चरवाहा विद्यालय के नाम पर लालूवाद ने 2004 में फिर से नौटंकी करने की कोशिश की जब चुनाव से छह महीने पहले राबड़ी सरकार ने 79 नए चरवाहा विद्यालय खोलने की घोषणा की लेकिन तब तक बिहार की जनता सब समझ चुकी थी.
उन्होंने लालू पर आरोप लगाया कि बीज केंद्र को बंद कर उस जमीन को चरवाहा विद्यालय के लिए इस्तेमाल किया गया. उन्होंने बताया दिसम्बर, 1991 में लालू सरकार ने 113 चरवाहा विद्यालय खोलने का निर्णय लिया. इस योजना को चलाने के लिए राज्य सरकार को आधारभूत संरचना पर एक करोड़ खर्च करने के अलावा कोई अलग से आर्थिक निवेश की ज़रूरत नहीं थी. तय हुआ कि कृषि विभाग अपने बीज केंद्र की ज़मीन देगी जिसका विभाग इस्तेमाल नहीं कर रही थी. इसी तरह वन विभाग को चरवाहा विद्यालय के आस पास पेड़-घास लगाने का जिम्मा दिया गया, मत्स्य विभाग को विद्यालय परिसर में मछली पालन को बढ़ावा देने, पब्लिक वेलफ़ेयर डिपार्टमेंट को मध्याहन भोजन की व्यवस्था करने को कहा गया.
पहले से ही शिक्षकों की किल्लत झेल रहे शिक्षा मंत्रालय के लिए नए शिक्षक बहाल करने की बजाय उनके शिक्षकों को चरवाहा विद्यालय में स्थान्तरित कर दिया गया. जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पहले से ही शिक्षक:छात्र अनुपात 1:90 था जो 2005 आते आते 1:122 हो गया जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 1:40 था जो 2015-16 में ही घटकर 1:28 हो गया. कृषि विभाग ने अपने 114 कृषि बीज केंद्रों को चरवाहा विद्यालय में रूपांतरित कर दिया. मत्स विभाग और पब्लिक वेलफ़ेयर डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को इन चरवाहा विद्यालय को मोनिटेरिंग करने का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया गया.
उन्होंने बताया कि RJD के घोषणापत्र में कभी भी चरवाहा विद्यालय को पुनर्जीवित करने की बात नहीं की गई. 1992 आते-आते इसकी संख्या 112 और फिर 1995 तक इसकी संख्या 354 तक पहुँची. चरवाहा विद्यालय के बच्चों और अभिभावकों का कहना है कि 1995 के चुनाव के बाद एकाएक शिक्षक विद्यालय बंद कर दिए गए.
नीरज ने पूछा कि क्या लालू सरकार बताएगी कि 1995-2005 के बीच इन 354 चरवाहा विद्यालय के लिए क्या किया? RJD के घोषणापत्र में कभी भी चरवाहा विद्यालय को पुनर्जीवित करने की बात नहीं की गई?
उन्होंने बताया कि लालू सरकार ने योजना आयोग के सुझाव को भी नहीं माना. योजना आयोग की रिपोर्ट ने वर्ष 1992 में इसपर गहन अध्ययन किया और अपने रिपोर्ट में कई कमियों (शिक्षकों-कर्मचारियों की कमी, मध्याहन भोजन की अव्यवस्था, मोनिटेरिंग व्यवस्था नगण्य) के साथ सुझाव भी दिए पर लालू सरकार ने न तो उन कमियों पर कोई ध्यान दिया और न ही उन सुझावों पर. राज्य के विद्यालय पहले से ही शिक्षकों-कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे थे तो चरवाहा विद्यालय में शिक्षक कर्मचारी कहाँ से जुटते. परिणति रही की अंततः चरवाहा विद्यालय में ताला जड़ दिया गया.
जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार सत्ता में आई तो लगभग एक दशक से वीरान पड़े चरवाहा विद्यालय की भूमि पर फिर से कृषि बीज की उन्नत किस्म का उत्पादन शुरू किया गया. वर्ष 2020-21 में कुल 16668.85 क्विंटल बीज का उत्पादन किया गया और किसानों को बांटा गया.