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1st Bihar Published by: Updated Sun, 05 Jun 2022 09:47:38 PM IST
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PATNA: एनडीए सरकार के खिलाफ महागठबधन ने आरोपी पत्र जारी करते हुए इसे लुटेरी सरकार बताया जिससे पूरा बिहार परेशान है। महागठबंधन के आरोप पत्र में स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था, बेरोजगारी का आलम और महंगाई के महा प्रकोप का भी जिक्र है। यह भी लिखा है कि किया शोषण उत्पीड़न अत्याचार, दिया बेरोजगारी और भ्रष्टाचा, चोरी आई चोर सरकार जो ले डूबी पूरा बिहार।
संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर पटना के बापू सभागार में महागठबंधन प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन किया गया। रविवार को महागठबंधन (राजद और लेफ्ट पार्टियां) की ओर से महागठबंधन प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस मौके पर महागठबंधन ने नीतीश सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया। खुद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार की विफलता के आकड़ों के साथ-साथ लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
महागठबंधन की तरफ से NDA सरकार के खिलाफ रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश सरकार हर मोर्चे पर फेल्योर रही है इसे आंकड़े के जरिए बताने की कोशिश की गयी है और एनडीए सरकार के खिलाफ रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है। रिपोर्ट कार्ड में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा का सवाल से लेकर, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे कई मुद्दों पर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश की गई है। ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में बिहार का 36 वां स्थान है जो सबसे नीचे है। जबकि नीतीश कुमार लगातार सामाजिक और आर्थिक विकास की बातें करते रहते है लेकिन सच्चाई यह है कि बिहार विकास से कोसों दूर है।
इन बातों का जिक्र संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट यानी एचडीआर में भी देखने को मिलता है। बिहार का एचडीआई वैल्यू 0.574 है जो सेंट्रल अफ्रीकन देश रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के बराबर है। महागठबंधन के रिपोर्ट कार्ड में इस बात का भी जिक्र है कि जब इन बिन्दुओं का मूल्यांकन किया गया तो पाया गया कि सुशासन के नाम पर कुव्यवस्था और भष्टाचार हर विभाग में है जिसके कारण संस्थाएं विखंडित हो गयी है। एनडीए के खिलाफ महागठबंधन में इस बात का भी जिक्र है कि नीतीश कुमार बेबस, लाचार और थके हुए दिख रहे हैं। पूरी शासन प्रणाली पटरी से उतर गयी है।
जिसका परिणाम यह है कि प्रदेश में रोजगार में भारी कमी आई है। संस्थागत भष्टाचार, राजनीतिक हत्याएं, मॉब लींचिंग, लूट, अपहरण, बच्चियों के साथ दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी जा रही है। आलम यह है कि अब खुद को समाजवादी और गांधीवादी बताने वाले नीतीश कुमार की धज्जियां नरेंद्र मोदी सरकार उड़ा रही है फिर भी वह मूक दर्शक बने हुए है। महागठबंधन की रिपोर्ट कार्ड में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय 2004-05 की तुलना में 15 वर्षो के बाद भी 2019-20 में राष्ट्रीय आय की तुलना में पूर्व के स्तर पर रही है।
बिहार में भाजपा-जदयू की डबल इंजन की सरकार है लेकिन बिहार राज्य मानव विकास सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर है। मानव विकास सूचकांक के तीनों घटक शिक्षा, स्वास्थ्य और औसत प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब है। डबल इंजन की सरकार द्वारा बिहार में महिला सशक्तिकरण के दावे देश में 24वें स्थान पर है जो चिंता का विषय है। वही कृषि रोडमैप और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इक्नोमिक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार अब तक बिहार सरकार द्वारा तीन कृषि रोडमैप लागू किया जा चुका है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2000 से 2007 की तुलना में 2008 से 2016 के बीच बिहार की प्रति व्यक्ति आय में कमी देखी गयी है।
बिहार में खाद, बीज, कीटनाशक मिलने में किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण भष्टाचार, अनियंत्रित व्यवस्था, खराब वितरण व्यवस्था और ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है। रिपोर्ट के अनुसार गेहूं की अधिप्राप्ति एक निश्चित मात्रा एवं समय तक होती है। गेहूं की खरीद पैक्स द्वारा सम पर नहीं की जाती है। पैक्स द्वारा गेहू की खरीद एमएसपी कीमत से बहुत कम पर की जाती है और उस पर किसानों को समय से पेंमेंट नहीं मिल पाता है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से मार्च 2022 में बेरोजगारी दर 17.56 प्रतिशत के करीब हो गयी है। नीति आयोग की रिपोर्ट 2019-20 हेल्थ स्टेट प्रोगेसिव इंडिया पी 23 के हेल्थ इंडेक्स के अनुसार 19 बड़े राज्यों के सर्वे में बिहार 31 अंक प्राप्त कर 18वें स्थान पर आया।
यदि सही राज्यों के स्तर पर देखा जाए तो बिहार का रैंक 32वां रहा है। नीतीश सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना अपने आप में एक टेंडर ठेका और घोटाला है। इन योजनाओं का थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग हो और हाई कोर्ट जज के निर्देशन में इसकी जांच हो। सरकार स्वयं औचक निरीक्षण कर रही है वह करे। लेकिन निश्पक्ष एवं उच्च स्तरीय शोध संस्थानों से सामाजिक अंकेक्षण कराया जाना चाहिए।
वही मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के अंतर्गत शिकार लड़कियों के बयानों को सामने लाने की जरूरत है और जितने भी बालिका गृह या आवासीय व्यवस्था सरकार स्तर पर है उसका निश्पादन उच्च स्तरीय शोध संस्थानों से सामाजिक अंकेक्षण कराए जाने की जरूरत है। इस बात का भी जिक्र इस रिपोर्ट कार्ड में है कि पूरे देश के जेल में मर्डर के मामले में बिहार का पहला स्थान था। पूरे देश में 2020 में कुल 2 मर्डर हुए और ये दोनों मर्डर बिहार में ही हुए।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि बिहार सरकार डबल इंजन की सरकार नहीं है बल्कि जर्जर इंजन की सरकार है। इथेनॉल नीति को बिहार के लिए अभिशाप बताया गया है। बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ और सुखाड़ की स्थितियों का भी जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है।