PATNA : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इलेक्शन कमीशन ने शनिवार को तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही पूरे देश में आचार संहिता भी लागू हो गई है। वहीं, इस बार का लोकसभा चुनाव बिहार के लिए काफी रोचक होने वाला है। इसकी वजह है कि इस बार सूबे के अंदर मुख्य राजनीतिक दलों के कप्तान यानी अध्यक्ष नए होंगे। इनेक पास इतने बड़े चुनाव का कोई ख़ास अनुभव नहीं होगा। ऐसे में इन नए कप्तानों के बीच सबसे बड़ी चुनौती अपने-अपने दलों को सम्मानजनक परिणाम दिलाने की भी होगी।
दरअसल, सूबे के अंदर दो राष्ट्रीय पार्टी मैदान में होगी और दोनों के कप्तान नए होंगे। वहीं राजद का नेतृत्व भी ऐसा कहा जा रहा है कि अनौपचारिक रूप से ह युवा नेता तेजस्वी यादव के हाथों में है। लोजपा के गठन के बाद से यह पहला चुनाव होगा जब इस दल को रामविलास पासवान (अब दिवंगत) का नेतृत्व नहीं मिलेगा। इस बार लोकसभा के रण में उनकी पार्टी दो खेमों में बंटकर चुनाव मैदान में उतरेगी। दोनों गुटों को क्रमश चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस लीड करेंगे।
वहीं, जदयू के लिए थोड़ी राहत भरी खबर है कि जदयू इस चुनाव में भी अपने सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के नाम और उनके मार्गदर्शन में लोकसभा चुनाव मैदान में होगा। जदयू-भाजपा की जोड़ी नई सदी के चार में से तीन चुनावों में बिहार की जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि चौथी बार इस गठबंधन को जनता का कितना आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पिछले बार तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव में गये जदयू ने भी 17 में से 16 सीटें जीती थी। इकलौती सीट किशनगंज से उसे हार तो मिली लेकिन वोट 3 लाख से अधिक प्राप्त हुए। अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी तथा बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े की जोड़ी राज्य में भाजपा के लिए चुनाव का नेतृत्व कर रही है।भाजपा की करें तो 2019 के चुनाव में बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेन्द्र यादव थे जबकि नित्यानंद राय प्रदेश अध्यक्ष थे। इन दोनों की जोड़ी ने अपने कोटे की सभी 17 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी।