CHHAPRA : बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रूडी कोरोना महामारी के दौर में भी सांसद फंड से खरीदे गये एंबुलेंस को छिपा कर रखने के आऱोपो में घिरे हैं. इस मसले पर केस मुकदमे से लेकर सियासी बयानबाजी का दौर जारी है. लेकिन सांसद रूड़ी के एंबुलेंस का विवाद नया नहीं है. 19 साल पहले भी सारण के तत्कालीन डीएम ने रूडी के सारे एंबुलेंस को जब्त करा लिया था.
2002 में डीएम ने जब्त किया था एंबुलेंस
छपरा के स्थानीय लोग बताते हैं कि रूडी के एंबुलेंस को लेकर 19 साल पहले यानि 2002 में भी खूब विवाद हुआ था. तब छपरा के डीएम पंकज कुमार हुआ करते थे. पंकज कुमार ने रूडी पर नियमों का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनके द्वारा संचालित हो रहे सारे एंबुलेंस को जब्त करा लिया था. डीएम ने उन सारे एंबुलेंस को अपने आवास के बाहर खड़ा करा दिया गया था. रूडी के कुछ एंबुलेंस को छपरा के राजेंद्र स्टेडियम में भी खडा किया गया था.
डीएम ने दुरूपयोग का लगाया था आरोप
छपरा के तत्कालीन डीएम पंकज कुमार ने तब कहा था कि उन्हें शिकायत मिली थी कि राजीव प्रताप रूडी एंबुलेंस का दुरूपयोग कर रहे हैं. उन्होंने इसकी जांच करायी तो आऱोप सही पाया गया था. लिहाजा जिलाधिकारी के तौर पर मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्होंने सारे एंबुलेंस को जब्त करने का आदेश दिया था.
चार दिन में हो गया था डीएम का तबादला
रूडी के एंबुलेंस जब्त करने के बाद बड़ा सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया था. राजीव प्रताप रूडी ने आरोप लगाया था कि सारण के डीएम गलत तरीके से उनकी एबुलेंस को जब्त कर रहे हैं. बिहार में उस वक्त राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं. राजीव प्रताप रूडी ने लालू प्रसाद यादव से सारण के डीएम पंकज कुमार की शिकायत की थी. डीएम पंकज कुमार ने 10 मई 2002 को राजीव प्रताप रूडी के एंबुलेंस को जब्त कराया था. चार दिन बाद 14 मई को पंकज कुमार का सारण डीएम पद से तबादला कर दिया गया था. दिलचस्प बात ये थी कि उस वक्त भी रूडी बीजेपी के सांसद थे जबकि सूबे में सरकार आरजेडी की थी. कहते हैं उस वाकये के बाद से सारण के किसी प्रशासनिक पदाधिकारी ने राजीव प्रताप रूडी से उलझने की कोई कोशिश नहीं की.