गयाजी में किसान सम्मेलन का आयोजन, सूरज यादव ने किसानों की आवाज़ बनने का लिया संकल्प थाने के लॉकअप से फरार कैदियों को पुलिस ने दबोचा, चौकीदार और OD ऑफिसर पर सहरसा SP ने की कार्रवाई बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग: अनशन के दौरान RJD नेता की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मिलने पहुंचे मनोज झा मुजफ्फरपुर: कॉलेज प्राचार्या पर महिला कर्मी की पिटाई और वसूली का आरोप, मानवाधिकार आयोग पहुंचा मामला पूर्णिया में NSD का नाट्य उत्सव: विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितम्बर को विशेष प्रस्तुतियाँ बिहार में चुनावी सरगर्मी हुई तेज: शाह-नीतीश की मुलाकात के बाद JDU ने की बैठक, राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना अमित शाह का बेगूसराय दौरा, राहुल-लालू-तेजस्वी पर साधा जमकर निशाना पटना के गर्दनीबाग में 28.66 करोड़ से बनेगा आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, क्रिकेट की 15 पिचों समेत जिम-हॉल की सुविधा BIHAR NEWS : 'एक दिन एक घंटा एक साथ’, बिहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू, गंगा तटवर्ती जिलों में पहुँचेगा स्वच्छता संदेश कल BJP के किस नेता का नंबर..? प्रशांत किशोर चौथा किस्त जारी करेंगे, दावा- जो फड़फड़ा रहा वो धाराशाई होकर गिर जाएगा
1st Bihar Published by: Updated Wed, 18 Dec 2019 11:39:55 AM IST
- फ़ोटो
DELHI: नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नागरिकता कानून पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जनवरी के दूसरे हफ्ते तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को निर्धारित की गई है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, TMC की महुआ मोइत्रा, RJD के मनोज झा, जमीयत उलेमा ए हिंद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग समेत 20 से ज्यादा नेताओं ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. नागरिकता संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले नेताओं का कहना है कि ये कानून संविधान के खिलाफ है. नेताओं ने इस कानून के माध्यम से देश का सामाजिक सौहार्द खराब होने का आरोप लगाया है. इन नेताओं का यह भी मानना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत के खिलाफ है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि यह कानून धर्मनिरपेक्षतावाद का उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें धार्मिक समूहों के खिलाफ भेदभाव की दुर्भावना के साथ नागरिकता मुहैया कराने में कुछ लोगों को बाहर रखा गया है.