MUNGER : बिहार ने नकली शराब की फैक्ट्री का बड़ा खुलासा हुआ है. मुंगेर पुलिस ने भारी मात्रा में कई ब्रांड कंपनियों का नकली माल बरामद किया है. पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार के साथ 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. एक कार्बाइन, देसी राइफल सहित पांच हथियार और 34 गोलियां बरामद की गई हैं.
मुंगेर पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के निर्देश पर की गई कार्रवाई के दौरान नकली अंग्रेजी शराब की फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया. हरिनमार के डुमरिया टोला में अंग्रेजी शराब बनाए जाने की सूचना पुलिस अधीक्षक को मिली थी. पुलिस अधीक्षक द्वारा छापामारी दल का गठन किया गया जिस के बाद गोरखधंधे का खुलासा किया गया. पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि हरिनमार थाना क्षेत्र के डुमरिया टोला गांव में अंग्रेजी शराब बनाए जाने की सूचना मिली थी. इसके बाद जिला आसूचना इकाई को सूचना के सत्यापन तथा रेकी का निर्देश दिया गया था. विगत दो सप्ताह से जिला आसूचना इकाई की टीम काम कर रही थी और धंधेबाजों के बारे में जानकारियां जुटाने का काम चल रहा था. सूचना के सत्यापन और पर्याप्त रेकी के बाद पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह द्वारा छापामारी दल का गठन किया गया.
पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि पूरे दियारा इलाके की घेराबंदी कराई गई थी और इसके बाद मनीष पटेल नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया. करीब 48 घरों की तलाशी ली गई जिसके बाद बड़े पैमाने पर शराब बनाए जाने के खेल का उद्भेदन हुआ. मनीष पटेल ही इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड है और उसी ने शराब बनाने की फैक्ट्री लगा रखी थी. काफी सुसंगठित तरीके से मनीष पटेल द्वारा इस काम को किया जा रहा था. गांव के लोगों को प्रभाव में लेकर तथा उन्हें रुपए का लालच देकर इस धंधे में शामिल किया गया था.
मुंगेर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान 377 लीटर नकली शराब बरामद किया गया. इसके अलावा हथियारों की बरामदगी भी हुई है. पुलिस ने एक कार्बाइन, एक देशी राइफल, लंबे बैरल की दो देसी पिस्तौल, एक कट्टा, 34 गोलियां बरामद की है. एक लाख उनहत्तर हजार रूपए नगद भी बरामद हुए हैं. हरिनमार थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है. सभी गिरफ्तार अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. गिरफ्तार अपराधियों की पहचान मनीष कुमार, दीपक कुमार, श्याम कुमार, राजेश कुमार दासविकास दास, अभिषेक, डब्बो पटेल, सुबोध मंडल, पांडव मंडल, गौतम कुमार, शंभू कुमार, शिव कुमार, राहुल कुमार और वीडियो कुमार के रूप में की गई है.
नकली शराब बनाए जाने के गोरखधंधे का मुख्य मास्टरमाइंड मनीष पटेल ही है. अपने गांव के लोगों को प्रभाव में लेकर अथवा लालच देकर इस ने कुछ घरों को सेफ जोन के तौर पर विकसित कर लिया था. हर घर के पीछे एक झोपड़ी बनाई गई थी और झोपड़ी में ही शराब को बनाने का काम चलता था. कहीं बोतलों की सफाई होती थी तो कहीं बोतलों में शराब भरकर फिर दूसरी जगह पर स्टिकर लगाकर पैक किया जाता था. हाथ से ही सारा काम होता था. नकली सील भी पश्चिम बंगाल से मंगाया जाता था और नकली मुहर भी वहीं से धंधेबाजों को आपूर्ति की जाती थी. ढक्कन सील, रेपर स्टीकर और शराब के ढक्कन पर लगने वाली मुहर सभी पश्चिम बंगाल से आते थे और यहीं पर शराब की पैकिंग हो जाती थी. 375 एमएल शराब की खाली बोतलों को दूसरे जिलों से खरीद कर मंगाया जाता था और साफ करने के बाद उसमें नकली शराब बनाकर पैक कर आवश्यकतानुसार इसकी बिक्री की जाती थी.
नकली शराब के धंधे बाज एक लीटर स्प्रिट से अंग्रेजी 375 एमएल अंग्रेजी शराब की 10 बोतलें तैयार कर लेते थे. 1 लीटर स्प्रिट में 3 लीटर पानी, दो ढक्कन कलर, एक ढक्कन फ्लेवर और एक ढक्कन परफ्यूम मिलाकर शराब तैयार कर लेते थे. फिर अंग्रेजी शराब को बोतलों में पैक किया जाता था और तब इसको दूसरी जगह पर भेजा जाता था. डिमांड के अनुसार अंग्रेजी शराब तैयार की जाती थी और उसके बाद इसे खपाया जाता था.
मनीष पटेल ने गांव में ही एक फैक्ट्री लगा रखी है. पॉलिथीन और कैरी बैग की इसकी अपनी फैक्ट्री थी. लॉकडाउन के समय व्यापार में इसको घाटा हुआ था और फिर उसने अंग्रेजी शराब बनाने का फैसला किया था. कुछ दिनों पूर्व ही इसने सारा सेटअप लगाया था और चुनाव के समय डिमांड को देखते हुए इतने बड़े पैमाने पर अंग्रेजी शराब बनाए जाने की तैयारी कर ली थी. यही कारण है कि अभी खाली बोतलें और बाकी सारा सामान स्टॉक किया गया था. 18 अक्तूबर को इसके पास स्प्रिट का एक बड़ी खेप भी आने वाली थी लेकिन इसी बीच पुलिस द्वारा कार्रवाई कर एक बहुत बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर दिया गया.