विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर JDU में माथापच्ची, एक अनार सौ बीमार वाले हालात

विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर JDU में माथापच्ची, एक अनार सौ बीमार वाले हालात

PATNA : राज्य में विधान परिषद चुनाव को लेकर नामांकन का काम शुरू हो चुका है लेकिन अब तक किसी भी दल से उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया है। राष्ट्रीय जनता दल ने भले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी हो लेकिन अभी भी मामला आरजेडी और लेफ्ट के बीच में फंसा हुआ है। उधर एनडीए के अंदर कुछ भी साफ नहीं हो पाया है। जेडीयू एक तरफ जहां एनडीए में सीट बंटवारे पर 50-50 का फार्मूला चाहता है तो वहीं बीजेपी अपने पास तीन सीट रख एक सीट जेडीयू को देने के पक्ष में है। ऐसे में अगर जेडीयू को एक विधान परिषद की सीट मिलती है तो पार्टी के अंदर एक अनार सौ बीमार वाले हालात बने हुए हैं। जेडीयू के अंदर स्थिति यह है कि विधान परिषद उम्मीदवारी को लेकर लगातार पार्टी के बड़े नेता माथापच्ची कर रहे हैं। नेताओं को खुद यह समझने में कठिनाई आ रही है कि एमएलसी उम्मीदवार किसे बनाया जाए। 


विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर शनिवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात की थी। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भी वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात हुई, दोनों नेताओं ने वशिष्ठ नारायण सिंह से जो बातचीत की उसे लेकर अधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि जेडीयू से एमएलसी का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह से चर्चा हुई है। जेडीयू के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात के पीछे बड़ी वजह यह हो सकती है कि संगठन के किसी महत्वपूर्ण चेहरे को एमएलसी बनाए जाने पर राय मशविरा हो। दरअसल वशिष्ठ नारायण सिंह लंबे अरसे तक जेडीयू के संगठन को देखते रहे हैं और ऐसे में उनकी सलाह मायने रखती है। हालांकि यह है कि उम्मीदवार पर भी अंतिम फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही लेना है लेकिन फिलहाल पार्टी के नेताओं में इसे लेकर चर्चा जरूर हो रही है। 


जनता दल यूनाइटेड के सामने सबसे बड़ी मुश्किल एमएलसी चुनाव में यह है कि विधानसभा चुनाव के पहले आरजेडी के जो विधान पार्षद पाला बदल जेडीयू के साथ आए थे उनमें से कुछ से किया गया वादा पूरा कैसे किया जाए। आपको बता दें कि आरजेडी के 5 एमएलसी पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हुए थे। इनमें से कुछ को पार्टी ने चुनाव भी लड़ाया लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। हालांकि कुछ विधान पार्षद ऐसे भी रहे हैं जो जेडीयू कोटे से एमएलसी के दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन राज्यसभा चुनाव में जिस तरह नीतीश कुमार ने संगठन से जुड़े पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है उसे देखते हुए यह चर्चा भी है कि एमएलसी चुनाव में भी किसी पुराने संगठन कर्मी को मौका दिया जा सकता है हालांकि यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बीजेपी को दो सीटें देती हैं या फिर उसे एक से ही संतोष करना पड़ता है।