PATNA: एमएलसी चुनाव से पत्ता साफ होने के बाद कांग्रेस में विद्रोह छिड़ गया है। पार्टी की विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और जितनी जल्दी हो सके उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर किसी दूसरे कांग्रेसी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर दी है। कांग्रेस विधायक ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह केंद्रीय नेतृत्व को मिस गाइड कर रहे हैं।
दरअसल, एमएलसी चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लालू से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव के दिल्ली रवाना होने के बाद कांग्रेस विधायक ने अपने ही प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ हमला बोला है और कहा है कि अखिलेश सिंह पार्टी और संगठन को कमजोर कर रहे हैं। ऐसे में जितनी जल्दी हो सके उन्हें पद से हटाकर किसी दूसरे कांग्रेस नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए।
प्रतिमा दास ने कहा है कि आने वाला लोकसभा चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है और सभी लोग इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में रहते हैं। अभी तक प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हो सका है। हमारे 17 में से दो विधायक दूसरे दल में चले गए। जब हमारे चार विधायक थे तब कांग्रेस से एमएलसी बनाया जाता था लेकिन 17 विधायक होने के बावजूद कांग्रेस से किसी को एमएलसी नहीं बनाया गया। ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जो पार्टी के खराब समय में भी पार्टी के साथ मजबूती से जुड़े रहे और आज भी पार्टी की मजबूती के लिए काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी के हित में लगातार काम करते हैं वैसे लोगों को उम्मीद होती है कि वे एमएलसी बने। सबको तो नहीं बना सकते हैं लेकिन अगर एक भी कार्यकर्ता को एमएलसी बना दिया जाता है तो अन्य कार्यकर्ताओं की उम्मीद जगती है। मुझे लगता है कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह केंद्रीय नेतृत्व को मिस गाइड कर रहे हैं। वे विधायकों को फोन तक नहीं उठाते हैं।विधायकों से मिले उनको कितने कितने दिन बीत जाते हैं। जब कोई एमएलए उनसे नहीं मिल पाता है तो पार्टी के कार्यकर्ता उनसे कैसे मिल पाएंगे। ऐसे में किसी बिहार के किसी नेता को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए जो अपना पूरा समय पार्टी और संगठन को दे सके।
जब उनसे पूछा गया कि आखिर अखिलेश सिंह किसके नेतृत्व में बिहार कांग्रेस को चला रहे हैं, इसपर विधायक ने कहा कि मुझे पता नहीं कि वे किसके नेतृत्व में पार्टी को चला रहे हैं लेकिन उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को मिस गाइड करने का काम किया है। जब विधायक एकजुट थे तब उन्होंने नेतृत्व को बताया कि विधायक टूटने वाले हैं। जिसके बाद आनन फानन में सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया गया और सभी को तेलंगाना भेज दिया गया, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी। जब एमएलए नहीं टूट रहे थे तो उन्हें तेलंगाना शिफ्ट कर दिया और जब विधायक टूट रहे थे तब प्रदेश अध्यक्ष क्या कर रहे थे?