PATNA : बिहार में पार्टी की सरकार है. नेता नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन जेडीयू के विधायकों को कोई रत्ती भर भी तरजीह नहीं देता। बिहार विधानमंडल के बजट सत्र में पार्टी की रणनीति तय करने के लिए जेडीयू के विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक बुलाई गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता कर रहे थे और बैठक में उनकी पार्टी के विधायकों ने जब अपना दुखड़ा सुनाना शुरू किया तो नीतीश कुमार को भी जवाब देते नहीं बना।
जेडीयू के विधायकों ने मुख्यमंत्री के सामने बता दिया कि जिले और उनके विधानसभा क्षेत्र में अधिकारी उनको पूछते तक नहीं हैं। राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की जमीनी हकीकत से भी विधायकों ने बैठक में रूबरू करा दिया। जेडीयू के विधायक सब यह बताने से नहीं चूके कि राशन कार्ड से लेकर मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में कैसी गड़बड़ी चल रही है। मुख्यमंत्री के सामने अधिकारियों के गड़बड़ झाले की पोल विधायकों ने खोल दी। साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन विधायक मुख्यमंत्री के साथ बैठक में यह मांग करते नजर आए कि कम से कम जिलों में 20 सूत्री कमिटी तो बना दी जाए।
जेडीयू के विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शासन के कड़वे सच से वाकिफ करा रहे थे तब उन्हें कोई जवाब नहीं सूझा। अलबत्ता मुख्यमंत्री ने यह जरूर कह दिया कि शराबबंदी अभियान को लेकर काम करिए। नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को शराबबंदी पर लंबा चौड़ा लेक्चर सुनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा में विधायकों ने शराब नहीं पीने की शपथ ली थी और अब इसका विरोध कर रहे हैं, यह सदन की अवमानना है। मुख्यमंत्री ने अपने विधायकों को बेवजह बयानबाजी नहीं करने की भी नसीहत दे डाली। साथ ही साथ कहा 1 मार्च को होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन की तैयारी में जुट जाइए। भाषणबाजी के बाद विधानमंडल दल की बैठक खत्म हो गई और जिन विधायकों ने नेता को शासन की हकीकत से वाकिफ कराया वह भी अपना सा मुंह लिए बैठक से रवाना हो गए।