HAJIPUR: क्या मुकेश सहनी बीजेपी-जेडीयू से नाराज होकर कोई दूसरी सेटिंग करने की कोशिश में है. जीतन राम मांझी ने आज बड़ा राज खोल दिया. मांझी ने आज मीडिया के साथ बात करते हुए बताया कि मुकेश सहनी के मन में क्या चल रहा है.
मांझी बोले-मुकेश सहनी ने ढ़ेर सारी बातें कही हैं
जीतन राम मांझी शनिवार को हाजीपुर में थे. मीडिया से बात करते हुए जीतन राम मांझी ने मुकेश सहनी को लेकर बड़ी जानकारी दी. जीतन राम मांझी ने कहा “मुकेश सहनी मेरे पास मिलने के लिए आये थे. मुकेश सहनी कह रहे थे कि उन्हें जानबूझ कर 16 महीने का एमएलसी बनाया गया है. चुनाव से पहले 6 साल वाले एमएलसी का वादा किया गया था औऱ सिर्फ 16 महीने के कार्यकाल वाली सीट दी गयी. ये जानबूझ कर किया गया है ताकि मुकेश सहनी बीजेपी के खिलाफ कुछ बोले नहीं या कुछ करें नहीं.”
जीतन राम मांझी ने कहा कि मुकेश सहनी ने उनसे ये भी कहा कि 12 एमएलसी के मनोनयन में उन्हें कम से कम एक सीट जरूर मिलनी चाहिये थी. उन्हें एक औऱ मंत्री का पद भी मिलना चाहिये थे. मुकेश सहनी ये भी कह रहे थे कि जीतन राम मांझी की पार्टी हम को भी एमएलसी की एक सीट औऱ मिलना चाहिये था.
क्या खिचड़ी पकाने में लगे हैं मुकेश सहनी
सवाल ये उठ रहा है कि क्या मुकेश सहनी कोई औऱ खिचड़ी पकाने में लगे हैं. पिछले दिनों में उन्होंने मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मसले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. मुकेश सहनी के बयानों के बाद मैसेज ये गया है कि बीजेपी की सरकार ये नहीं चाहती कि मल्लाहों को उनका हक मिले.
इससे पहले मुकेश सहनी के भाई के मंत्री की जगह सरकारी कार्यक्रमों में जाने की खबर आयी थी. इस मामले में भी मुकेश सहनी की सरकार में शामिल पार्टियों के साथ तकरार हुई थी. जेडीयू के मंत्री संजय झा औऱ अशोक चौधरी के साथ इस मसले पर मुकेश सहनी की तीखी बहस की चर्चा सियासी गलियारे में आम है. इस मामले में सरकार के कठघरे में खडे होने के बाद नीतीश कुमार औऱ उनके सिपाहसलारों को मुकेश सहनी से माफी मंगवाने में पसीने छूट गये थे.
मुकेश सहनी को लेकर बीजेपी सशंकित
दरअसल मुकेश सहनी का अतीत ऐसा रहा है जिससे बीजेपी औऱ जेडीयू दोनों सशंकित हैं. 2015 से मुकेश सहनी बिहार की पॉलिटिक्स में हाथ आजमाते रहे हैं. इस दौरान वे कब किस खेमे में चले गये इसका अंदाजा लगाना हमेशा मुश्किल रहा. हालांकि 2020 के चुनाव में आरजेडी ने जब मुकेश सहनी औऱ उनकी पार्टी वीआईपी को नकार दिया तो बीजेपी ने उन्हें लपक लिया. चुनाव में हारने के बावजूद मुकेश सहनी को मंत्री बनाया गया औऱ फिर विधान परिषद भेजा गया.
दिलचस्प बात ये रही कि कुछ दिनों बाद ही राज्यपाल से मनोनयन होना था. उसमें राज्य सरकार के दो दो मंत्री अशोक चौधरी औऱ जनक राम विधान पार्षद बने. लेकिन मुकेश सहनी को उप चुनाव में विधान परिषद भेजा गया. उसमें भी दो सीटें थी. एक ढ़ाई साल की तो दूसरी डेढ साल की. मुकेश सहनी को डेढ़ साल वाली सीट दी गयी. जाहिर है बीजेपी कोई ऐसा मौका नहीं दे रही जिससे मुकेश सहनी कोई खेल कर सकें.
मांझी एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे
वैसे जीतन राम मांझी ने कहा है कि एमएलसी मनोनयन में उन्हें हिस्सा नहीं मिलने से वे निराश जरूर हैं लेकिन नाराज नहीं है. इसके कारण वे एनडीए से अलग नहीं होने जा रहे हैं. जाहिर है मांझी मुकेश सहनी की लाइन पर चलने को तैयार नहीं है. जीतन राम मांझी ने कहा कि वे नीतीश कुमार की सरकार के साथ खड़े हैं.