DESK :आज 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. आज के दिन विश्व भर में महिलाओं को अलग-अलग क्षेत्र में उनके दिए गए योगदान के लिए याद किया जाता है.इस बार महिला दिवस की थीम है-मैं जनरेशन इक्वेलिटी: महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं (I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights)है.
बहुत से लोग सोचते होंगे की इस तरह के आयोजन की कोई जरुरत नहीं है. तो हम आप को बता दें कि आज भी ऐसे कई देश है जहां महिलाएं अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रही हैं. बहुत से ऐसे देश थे जहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त नहीं था, उन देशों में लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें ये अधिकार प्राप्त हुआ.भारतीय संविधान ने हमेशा महिलाओं को सामान अधिकार दिया है, विडंबना ये है कि महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं है. जिस कारण उन्हें प्रताड़ना और शोषण का शिकार होना पड़ता है. आइये जानते है उन अधिकारों के बारे में जो भारतीय कानून महिलाओं को देता है.
- भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी महिला को सामान्य परिस्थिति में सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद हिरासत में नही लिया जा सकता है. किसी विशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट के आदेश पर गिरफ्तारी संभव है.
- कोई भी महिलाकिसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर करा सकती है. उसे ये देखने की जरुरत नहीं की अपराध कहां हुआ था. पुलिस को उसकी रिपोर्ट उसी तरह लिखनी होगी जैसे महिला चाहती है.
- यदि कोई महिला पुलिस स्टेशन जाने में असमर्थ है तो वो अपनी शिकायतईमेल या पोस्ट के जरिए भी कर सकती है. महिला द्वारा भेजी गई शिकायत को ही FIR में दर्ज करना होगा.
- IPC सेक्शन 51 के तहत किसी महिला को कोई महिला ऑफिसर ही गिरफ्तार कर सकती है. आरोपी महिला की तलाशी और जांच कोई महिला ही कर सकती है.
- महिलाओं को ये अधिकार है की वो किसी भी मामले में अपनी पहचान गोपनीय रखने का निवेदन कर सकती है. मीडिया और वकील उन्हें पीड़ित कहकर संबोधित करते है.
- हमारा कानून महिलाओं को फ्री लीगल ऐड देता है. यदि महिला किसी केस में आरोपी है या उसने शिकायत की है तो वह फ्री कानूनी मदद ले सकती है.उसे मुफ्त में सरकारी खर्चे पर वकील की सुविधा मिलेगी. महिला की आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, वो अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सकती है.
- यदि किसी महिला को गिरफ्तार किया जाता है तो उसके परिवार को सूचित करना पुलिस की ड्यूटी है. साथ ही महिला को अलग लॉकअप में रखा जाता है.
- किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए.
- संविधान के अनुच्छेद-42 के तहत, महिला सरकारी या गैर सरकारी संस्था में काम करती है तो उसे मैटरनिटी लीव लेने का हक है. महिला को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है.इस दौरान महिला को उसकी पूरी सैलरी मिलेगी.
- किसी भी महिला को गर्भवती होने के दौरानया गर्भवती होने के कारण नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत ये दर्ज है.
- शादी के वक्त उपहार के तौर पर कई चीजें महिलाओं को मिलता है, इन उपहारों को स्त्रीधन कहते है. ससुराल वाले अगर महिला के स्त्रीधन को रख लेते है तो वो इसके खिलाफ आईपीसी की धारा-406 के तहत शिकायत कर सकती है. कोर्ट के आदेश पर महिला को उसका स्त्रीधन वापस मिल सकता है.
- कम करने वाली जगह पर अगर कोई सहकर्मी महिला का यौन उत्पीड़न करता है तो उन्हें ये अधिकार है की वो यौन उत्पीड़न करने वाले खिलाफ शिकायत दर्ज कराये.जिससे उन्हें न्याय मिल सके.
- भारतीय कानून के तहत पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है.
- घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी महिला कभी भी शिकायत दर्ज करा सकती है.