बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा-शिक्षकों की आस्था के साथ हो रहा खिलवाड़, महिला शिक्षिका कैसे करेंगी लोक आस्था का महापर्व?

 बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा-शिक्षकों की आस्था के साथ हो रहा खिलवाड़, महिला शिक्षिका कैसे करेंगी लोक आस्था का महापर्व?

PATNA: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा है कि बिहार के शिक्षकों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। शिक्षकों को त्योहारों में दी जाने वाली छुट्टियों में कटौती की गयी है। जो कही से जायज नहीं है। 


बता दें कि बिहार के सरकारी विद्यालयों में 60 फीसदी महिला शिक्षिका तैनात हैं। जिसमें अधिकतर महिला शिक्षका खुद छठ महापर्व करती हैं। लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा जारी वर्ष 2024 के अवकाश तालिका में 7, 8 और 9 नवंबर को छठ पर्व की छुट्टी दी गयी है जबकि चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो रही है। वहीं 6 नवंबर खरना, 7 को अस्ताचलगामी अर्घ्य और 8 को उदयगामी सुबह का अर्घ्य है। इस बार नहाय-खाय और खरना दोनों दिन सरकारी विद्यालय खुले रहेंगे। अब छठ व्रत करने वाली शिक्षिकाएं इस बात को लेकर परेशान हैं कि वो इस बार कैसे महापर्व करेंगी।


वही दिवाली की छुट्टी एक दिन 31 अक्टूबर को दी गयी है। ऐसे में जो शिक्षक दूसरे राज्य के रहने वाले हैं या दूर दराज क्षेत्र में पोस्टेड हैं वो घर जाकर कैसे दिवाली परिवार के साथ मना पाएंगे। इस बात को लेकर शिक्षक काफी चिंतित हैं। दिवाली में एक दिन छुट्टी रहने से अन्य प्रदेश के शिक्षकों के बीच मायूसी देखी जा रही है।


बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती की जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश का भी अनुपालन नहीं हो रहा है। शिक्षकों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षक संघ ने इस संबंध में अपनी बातें रखी थी। तब सीएम नीतीश ने आदेश दिया था कि 2023 की अवकाश तालिका के अनुसार स्कूलों में छुट्टियां दी जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 


शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया है कि यदि शिक्षा विभाग शिक्षकों की सेवा और सुविधा एक समान करना चाहता है और जिसमें छुट्टियां भी शामिल रहती है तो उन्हें राजपत्रित अवकाश के अतिरिक्त प्रतिबंधित छुट्टियों का भी लाभ दिया जाए और अर्जितावकाश 33 दिनों का दिया जाए। शिक्षा विभाग न तो शिक्षकों को न राज्यकर्मी का लाभ देना चाहता है और न शिक्षा सेवक ही मानना चाहता है। हर हाल में शिक्षकों का सम्मान, उनकी गरिमा को बरकरार रखनी होगी।


बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि स्कूलों में 60 दिनों की छुट्टियां होती है। लेकिन शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इन छुट्टियों में अनावश्यक रूप से छेड़छाड़ की।  हालांकि वर्तमान अपर मुख्य सचिव ने इसमें संशोधन करने का आश्वासन शिक्षकों को दिया था लेकिन अभी तक 2023 की तरह छुट्टियां लागू नहीं की गयी। लोक आस्था का महापर्व छठ में शिक्षक नहाय-खाय और खरना से भी वंचित रह जाएंगे। 


वही दिवाली में एक दिन की छुट्टी दी गयी है। जो शिक्षक दूसरे राज्य के रहने वाले हैं वो एक दिन की छुट्टी में अपने घर में भी दिवाली मनाने से वंचित रह जाएंगे। इसे लेकर शिक्षकों के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है जिसका असर पठन-पाठन पर भी पड़ रहा है। मुख्यमंत्री से शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि यह अति संवेदनशील मामला है। इस पर मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने की मांग की गई है।