MADHEPURA: मधेपुरा के चौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी जब प्रसव के बाद जमकर हंगामा हुआ। बेटे के जन्म के बाद नर्सिंग स्टाफ और ममता की दादागिरी देखने को मिली। मुंहमांगी रकम नहीं मिलने पर हंगामा करने लगे और बात इतनी बढ गयी की मारपीट पर उतारू हो गये।
मधेपुरा के सरकारी अस्पतालों में रिश्वत का बड़ा खेल चलता है। यहाँ बिना पैसे का प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला की डिलिवरी भी संभव नहीं है। हम बात मधेपुरा के चौसा पीएचसी की कर रहे हैं जहां नर्सिंग स्टाफ और ममता की दादागिरी का शिकार आशा कार्यकर्ता हो गयी। आशा कार्यकर्ता वीणा भारती प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को अस्पताल में डिलिवरी कराने पहुंची थी। महिला को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिसके बाद अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ और ममता ने मुंहमांगी रकम मांगनी शुरू कर दी।
इस बात का जब आशा कर्मी वीणा भारती ने विरोध किया तो अस्पताल कर्मी, ममता मीना देवी और रीना देवी ने मारपीट करनी शुरू कर दी। जब आशा कर्मी के पति बीच बचाव करने पहुंचे तो उनके साथ भी ममता मीना देवी ने मारपीट कर ईंट फेंककर हमला कर दिया। अस्पताल में घंटों हंगामा और हाई वोल्टेज ड्रामा होता रहा लेकिन प्रभारी चिकित्सक से लेकर चिकित्सक भी देखते रहे।
दरअसल अस्पताल में रिश्वत मांगने का यह कोई नया मामला नहीं है। अगर सही तरीके से जांच की जाये और आशा कर्मियों से पूछताछ की जाय तो जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में यही स्थिति देखने को मिलेगी। इतना हीं नहीं उगाही की रकम में प्रभारी चिकित्सक की भी हिस्सेदारी होती है। भले ही अस्पताल के अन्य कर्मी इस मामले में चुप्पी साध रखे हों लेकिन कहीं ना कहीं अस्पताल में रिश्वत का खेल चल रहा है।
इस वजह से इस मामले में कोई भी जिले के जवाबदेह अधिकारी साफ-साफ कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं समझ पाते हैं। वहीं घटना की प्रत्यक्षदर्शी पीड़िता आशा कर्मी वीणा भारती ने बताया कि बिना रिश्वत के अस्पताल में ममता हो या नर्सिंग स्टाफ प्रसव करवाते ही नहीं हैं। एक डिलेवरी पर 500 से लेकर 2 हजार की रकम वसूली की जाती है। मुंह मांगी रकम नहीं देने पर इसी तरह हाई वोल्टेज ड्रामा होता है। वही इस पूरे मामले पर मधेपुरा सिविल सर्जन ने कहा कि मामले की जांच कर उक्त कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।