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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 23 May 2024 09:32:46 AM IST
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PATNA : लोकसभा चुनाव- 2024 के तहत बिहार में अबतक पांच चरणों का चुनाव पूरा हो चुका है और अब महज दो चरणों का मतदान बाकी है। लेकिन इस बार के चुनाव में अबतक जनता के बीच कई नयी चीज़ें देखने को मिली है जो अमूमन बिहार की राजनीति में नहीं के बराबर ही देखने को मिलता था। बिहार के बारे में ऐसी कहावत है कि यहां लोग कैंडिडेट नहीं बल्कि पहले अपनी जाति और उसके बाद सिंबल और कैंडिडेट को देखते हैं। लेकिन इस बार काफी हद तक यह मिथ खत्म होता नजर आया है। इस बार का चुनाव मुख्य रूप से अबतक पांच मुद्दों पर टिका नजर आता है। जिसमें न सिर्फ बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव की नई छवि तैयार हुई है बल्कि उनके ऊपर से एक बहुत बड़ा टैग भी धीरे -धीरे समाप्त होता नजर आया है। वहीं , भाजपा का संगठन भी पहले की तुलना में मजबूत होता दिख रहा है। बाकि एनडीए के सहयोगियों को भी थोड़ी-थोड़ी सफलता जरूर मिलती नजर आ रही है। लेकिन चुनावी मुद्दे अबतक महज पांच ही नजर आए हैं।
1 .तेजस्वी यादव अब सिर्फ ‘यादव’ के नेता नहीं, नौकरी का वादा आएगा काम
सबसे पहले हम बात करते हैं बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद की। तो अब से पहले तक इस पार्टी को 'माई' समीकरण की पार्टी कहा जाता रहा है। लेकिन इस बार बिहार की सत्ता में आते ही तेजस्वी यादव ने सबसे पहले खुद को इस मिथ से दूर करने का फैसला किया और पार्टी में हर समाज से लोगों को तबज्जो दी। ताकि इस टैग से बाहर निकला जा सके। उसके बाद तेजस्वी यादव अपनी सभाओं में जिस तरह से नौकरी की बात कर रहे हैं, उसमें भी कहीं न कहीं सभी जाति और समाज को फायदा हुआ है। लिहाजा अब यह कहना गलत नहीं होगा कि तेजस्वी यादव अब सिर्फ ‘यादव’ के नेता नहीं रहे। इसको लेकर एक मीडिया चैनल की रिपोर्ट देखें तो युवाओं में तेजस्वी का अच्छा क्रेज बना है जो उनको आने वाले विधानसभा चुनाव में काफी फ़ायदा दे सकता है।
2 .राजद की सोशल इंजीनियरिंग
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अकेले खुद के दम पर इंडिया गठबंधन की नैया का खेवनहार बने हुए हैं। जबकि तेजस्वी को कमर और रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द के कारण डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी है लेकिन फिर भी वह प्रचार में शामिल रहे। लेकिन, इस दौरान तेजस्वी की सभा में जो बातें देखने को मिल रही है वह यह है कि तेजस्वी अपनी सभा में सरकारी नौकरियों, रोजगार जैसे मुद्दों पर केन्द्रित नजर आ रहे हैं और पार्टी के मुस्लिम-यादव (MY) आधार का विस्तार कर BAAP टर्म को जोड़ा है, जिसमें B-बहुजन, A- अगड़ा (उच्च जातियां),A-आधी आबादी (महिलाएं) और P (Poor) गरीबों को शामिल करने की कोशिश करके चतुर सामाजिक इंजीनियरिंग को अंजाम देने की कोशिश किया है। जिसका फ़ायदा भले ही अभी न मिले लेकिन उन्होंने एक नया एजेंडा जरूर तय कर दिया है।
3. इसके बाद तीसरा जो सबसे अहम सवाल है वह यह कि इस चुनाव में सूबे के मुखिया यानी नीतीश कुमार कहां हैं ?
दरअसल, अबतक के पांच चरणों के मतदान के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने कई चुनावी जनसभा किया है। लेकिन, एक बड़े मीडिया एजेंसीं की रिपोर्ट की मानें तो इस बार सीएम की चुनावी जनसभा में उतनी भीड़ नहीं दिखी जो अमूमन इससे पहले की चुनाव में नजर आते थे। अब इसकी वजह देखें तो सबसे पहले उनका पाला बदलना है और दूसरा बार -बार सीएम के जुबान का फिसलना भी है। इसके साथ ही साथ हर सभा में घुमा- फिरा कर पुराने जंगलराज की बात को लाना है। इसको लेकर युवाओं का मत है कि वो दौर दूसरा था अब कुछ और हैं और हर कोई जानता है कि नीतीश कुमार ने काम किया। लेकिन, अब आगे वो क्या करेंगे बताने के वजाय पुरानि बातों को ही लेकर चल रहे हैं। हालांकि, बीजेपी को अभी भी विश्वास है कि 13-14% वोट और खासतौर से ईबीसी और दलित नीतीश कुमार पर निर्भर हैं। लेकिन, यह तय है की नीतीश अब तीसरा पक्ष हैं।
4. महिला मतदाता को मोदी पर कितना भरोसा
चुनाव की बात हो और आधी आबादी की बात न हो यह संभव नहीं। ऐसे में इसबार के चुनाव में अबतक के जो आकड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक पहले चार चरणों में महिलाओं और पुरुषों के मतदान के बीच का अंतर 6 प्रतिशत अंक से लेकर 10 प्रतिशत अंक तक रहा है। ऐसे में जानकारों की मानें तो पिछले कुछ चुनावों में महिलाओं के बीच अधिक मतदान का एक कारण महिलाओं के बीच NDA की योजनाओं सीधा लाभ मिलना बताया जा रहा है। महिला वोटरों का मानना है कि “जिसका खाएंगे उसी का साथ देंगे न ना।” जब फर्स्ट बिहार की टीम ने कुछ महिला वोटरों से बातचीत तो उनका कहना था कि जिनके पास कमाने वाला कोई नहीं है, उसको मोदी सरकार में अनाज दे रहा है । हालांकि, कुछ महिला वोटरों का यह भी कहना है की मोदी सरकार को उज्ज्वला योजना पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि यहां गरीब लोग गैस का दाम अधिक होने से इसका खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।
5 . सांसद से नाराज लेकिन मोदी को कराएंगे नैया पार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के चुनाव में एक फैक्टर हैं। अबतक के चुनाव में हर जगह काफी हद तक लोगों में अपने सांसद से नाराजगी नजर आई है। लेकिन, जैसे ही उनके सामने पीएम मोदी का नाम आता है वो फिर अपनी सारी नाराजगी भूल जाते हैं और मोदी की तारीफ़ करना शुरू देते हैं। बिहार कई लोकसभा क्षेत्रों में दर्जनों मतदाताओं ने कहा कि देश को चलाने के लिए मोदी अभी भी सबसे अच्छे विकल्प हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के लिए कोई युवा की अब ठीक रहेगा।