PATNA : लॉकडाउन के बीच बिहार में गेहूं खरीद की रफ्तार सुस्त पड़ी हुई है। 37 दिनों में महज 3487 टन गेहूं की ही खरीद हो सकी है। हालांकि सरकार ने इस बार कोरोना संकट से निपटने के लिए इस बार पिछली बार 2 लाख टन की तुलना में इस बार 7 लाख टन का लक्ष्य रखा है।
सहकारिता विभाग ने गेहूं खरीद की कम रफ्तार का कारण खुले बाजार में गेहूं की अच्छी कीमत मिलना बताया है। 22 मई तक 678 किसानों से गेहूं लिया गया। इसमें 440 किसानों को कीमत का भुगतान डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में किया गया है। वहीं कटिहार में पैक्स को कैश क्रेडिट नहीं मिलने से गेहूं की खरीद नहीं शुरू हो सकी है।
सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह ने कहा कि किसानों को बाजार में प्रति क्विंटल 1900 रुपये से अधिक मिल रहे हैं। पैक्स और व्यापार मंडल में 1925 रुपये प्रति क्विंटल कीमत मिलती है। आईटीसी सहित कई निजी कंपनियां और व्यापारी भी किसानों से अच्छी कीमत पर गेहूं खरीद रहे हैं। चावल की तुलना में गेहूं का उपयोग अधिक होता है। इसलिए कम खरीद हो रही है। वैसे सरकार का लक्ष्य रहता है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अनाज की कम कीमत नहीं मिले।
कोरोना संकट से निबटने के लिए लॉकडाउन में किसानों को उचित कीमत दिलाने के लिए सरकार ने गेहूं खरीद को प्राथमिकता दी है। गेहूं खरीदके कारण ही लगभग 4 हजार पैक्स को पीडीएस की दुकान संचालन से अलग कर दिया गया है। सरकार ने इस साल 7 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा है। पहले हर साल यह 2 लाख टन रहता था। इस साल 15 अपैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई है। खरीद 15 जुलाई तक होनी है। गेहूं बेचने के लिए 14989 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।