आवास खाली कराने को लेकर हुआ हंगामा, घंटों चला हाई वोल्टेज ड्रामा

आवास खाली कराने को लेकर हुआ हंगामा, घंटों चला हाई वोल्टेज ड्रामा

DARBHANGA: दरभंगा राज की जमीन और भवन में चल रहे भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के गीत नाटक प्रभाग को खाली कराने के लिए गुरुवार को ललित नारायण मिथिला विवि के अधिकारी और कर्मी पहुंच गए। उन्होंने जबरन गीत नाटक प्रभाग के सभी साजो-सामान को बाहर फेंक कर उनके कमरे में ताला जड़ दिया। इसके बाद गीत नाटक प्रभाग के कर्मियों ने इसका जब विरोध किया तो दोनों संस्थानों के कर्मियों में भिड़ंत हो गई।


 विश्वविद्यालय की ओर से भू-संपदा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार, पूर्व एमएलसी और सीएम साइंस कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. दिलीप चौधरी और विवि संगीत नाटक विभाग की अध्यक्ष डॉ. पुष्पम नारायण की मौजूदगी में घंटों हाई वोल्टेज ड्रामा चला। विवि कर्मियों ने गीत नाटक प्रभाग की एक महिला कर्मी को जबरन घसीट कर निकालने की कोशिश की। आखिरकार जब नगर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची तो विवि कर्मियों को रोका और जबरन कब्जा करने को गलत करार देते हुए उन्हें बाहर किया। 


गीत नाटक प्रभाग की एक कर्मी शिप्रा ने बताया कि ललित नारायण मिथिला विवि के अधिकारी और कर्मी जबरन कार्यालय खाली कराने आए थे। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ हाथापाई की गई और घसीट कर उन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया गया। इस दौरान उनके साथ महिला और पुरुष सुरक्षा गार्ड ने धक्कामुक्की भी की। 


वहीं, गीत नाटक प्रभाग के एक वरिष्ठ कर्मी मनीष जायसवाल ने बताया कि गीत नाटक प्रभाग भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की इकाई है। उनका कार्यालय 1967 से दरभंगा राज की इस जमीन और भवन पर चल रहा है। जबकि ललित नारायण मिथिला विवि की स्थापना बाद में 1972 में हुई। उन्होंने कहा कि विवि जबरन उनके कार्यालय पर कब्जा करना चाहता है। 


विवि के पास कार्यालय को खाली कराने का न तो कोई आदेश है और न ही इसके मालिकाना हक को लेकर कोई कागज है। इसके बावजूद न्यायालय और पुलिस को सूचना दिए बिना वे लोग जबरन खाली कराने पहुंच गए थे। जब उन लोगों ने इसका विरोध किया तो मारपीट पर उतारू हो गए। 


ललित नारायण मिथिला विवि के भू-संपदा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार ने कहा कि गीत नाटक प्रभाग के कार्यालय की जमीन विवि की है। वे कई बार उन्हें खाली करने की नोटिस दे चुके हैं लेकिन वे लोग खाली नहीं करते हैं। इसी वजह से वे लोग मकान खाली कराने आए थे। जब उनसे पूछा गया कि किसके आदेश पर खाली कराने आए थे तो इसका जवाब दिए बगैर ही वे अपनी गाड़ी में बैठकर चलते बने।