DELHI:एनडीए में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा। लगता तो यहीं हैं महाराष्ट्र में सरकार बनाने के नाम पर शिवसेना ने एनडीए से अलग होने में तनिक भी देरी नहीं की वहीं एनडीए के दूसरे सहयोगी भी बीजेपी को आंख दिखाने से बाज नहीं आ रहे झारखंड में आजसू ने चुनाव में जहां अलग राह पकड़ ली है वहीं एलजेपी भी बीजेपी के लिए चुनौती पेश कर रही है। शिवसेना के अलग होने के बाद एनडीए में बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी बन चुकी नीतीश कुमार की जेडीयू भी बीच-बीट में नसीहत देने से बाज नहीं आ रही। अब एन नये मुद्दे पर जेडीयू ने केन्द्र सरकार को नसीहत दे डाली है।
दरअसल अब जीडीपी की गिरावट पर विवाद छिड़ गया है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानि GDP के जो आंकड़े जारी किए उसके मुताबिक करीब 6 वर्ष में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा घटकर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हालांकि केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने उम्मीद जताई है कि तीसरी तिमाही में जीडीपी गति पकड़ सकती है। लेकिन, सरकार के दावों के बावजूद कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार पर हमलावर है, वहीं एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू भी इसपर चिंता जाहिर कर रही है।
जेडीयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने कहा है कि जीडीपी का 4.5 तक आ जाना इस सरकार के कार्यकाल में अब तक का सबसे निचला स्तर है। कृषि का 2.1 प्रतिशत विकास दर आ जाना और गांवों से पलायन की लगातार खबरें आना बेहद चिंताजनक हैं। मंदी से उबरने का और रोजगार पैदा करने का मैकेनिज्म अभी बनता हुआ नहीं दिख रहा है।जेडीयू नेता ने कहा कि भारत सरकार को अर्थशास्त्रियों, पूर्व वित्त मंत्रियों और रिजर्व बैंक के बड़े अधिकारियों के साथ विमर्श कर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे संभावित मंदी से मुक़ाबला किया जा सके।