BIHAR VIDHANSABHA : लंबे समय बाद शांतिपूर्ण तरीके से चला प्रश्नकाल, मुद्दों पर हंगामा और सियासी नोकझोंक के साथ खत्म हुआ शीतकालीन सत्र

BIHAR VIDHANSABHA : लंबे समय बाद शांतिपूर्ण तरीके से चला प्रश्नकाल, मुद्दों पर हंगामा और सियासी नोकझोंक के साथ खत्म हुआ शीतकालीन सत्र

PATNA : बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। पांच दिन के सत्र में क्या-क्या हुआ, किन-किन मुद्दों पर तकरार हुई इसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। इसकी वजह यह है कि कई लोग यह जान, पढ़ और देख नहीं पाए की इस बार का शीतकालीन सत्र कैसा रहा? तो आइए हम आपको बताते हैं इस बार के सत्र की महत्वपूर्ण बातें। 


दरअसल, बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र इस बार 5 दिनों तक चला और ऐसा काफी लंबे समय के बाद हुआ की सदन के अंदर शांतिपूर्ण तरीके से प्रश्न काल चला। कई मुद्दों पर जबरदस्त हंगामा भी हुआ। कई बार नोक झोंक भी हुई। इस बीच सरकार ने अनुपूरक बजट और कई विधेयक पास कराय तो वहीं राज्यपाल से स्वीकृति के बाद 7 विधायक को सदन पटल पर भी रखा गया। 


वहीं, इस शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच सांकेतिक संवाद भी सियासी चर्चा में रहा। जबकि विपक्ष इस बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र में स्मार्ट मीटर, 65% आरक्षण और वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया। वहीं महागठबंधन के बागी विधायकों के बैठने के मामले को लेकर भाई वीरेंद्र के मुख्यमंत्री की सीट पर पहुंचने को लेकर विवाद भी रहा। 5 दिनों के सत्र में चार दिन प्रश्न कल चला और चारों दिन विपक्षी सदस्य सदन में मौजूद रहे। 


मालूम हो कि, 5 दिनों के शीतकालीन सत्र में 809 प्रश्न स्वीकृत हुए, जिसमें 29 अल्प सूचित प्रश्न थे। जिसमें से 28 प्रश्नों के उत्तर हुए. 681 तारांकित प्रश्न थे, जिसमें से 664 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए। 103 ध्यान कर्षण सूचनाएं लाई गई थी, इसमें से आठ का उत्तर ही सदन में हुआ।  85 सूचनाओं को लिखित उत्तर हेतु भेजे गए और 10 को अमान्य कर दिया गया।  शीतकालीन सत्र में 154 निवेदन प्राप्त हुए जिसमें 151 स्वीकृत हुए। 112 याचिकाएं प्राप्त हुई जिसमें 100 स्वीकृत हुए और 98 गैर सरकारी संकल्प की सूचना पर चर्चा हुई। 


इधर,  5 दिनों के छोटे सत्र में पांच विधेयक पास कराये गये. सरकार की ओर से द्वितीय अनुपूरक बजट भी पास कराया गया। इस सत्र को लेकर विपक्ष के नेता ने कहा कि जनता के सवाल को लेकर विपक्ष सतर्क था। हम लोग भी चाहते हैं कि जनता की समस्या दूर हो और इसलिए प्रश्न काल हम लोगों ने चलने दिया। लेकिन, सरकार का उत्तर संतोषजनक नहीं रहा। इसके साथ ही इस बार  उपचुनाव में जीते चारों विधायकों को शपथ दिलाई गयी।