बाजार में नहीं बिकी तो RJD नेताओं को जबरन थमायी जा रही है लालू यादव की जीवनी, तेजस्वी की बैठक में बेची गयी किताब

बाजार में नहीं बिकी तो RJD नेताओं को जबरन थमायी जा रही है लालू यादव की जीवनी, तेजस्वी की बैठक में बेची गयी किताब

PATNA: लालू प्रसाद की आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ बाजार में तो खऱीददार नहीं खोज पायी तो उनके कुनबे ने उसे चलाने का दूसरा रास्ता ढ़ूंढ़ लिया है. RJD ने लालू यादव की जीवनी को अपनी पार्टी के नेताओं को थमाना शुरू कर दिया है. पार्टी के नयी प्रदेश कार्यकारिणी की आज पहली बैठक हुई तो उसमें मौजूद सारे नेताओं के लिए लालू की जीवनी को खरीदना जरूरी कर दिया गया. बैठक में गये नेता हाथ में लालू की जीवनी लेकर बाहर निकले.

200 रूपये में बेची गयी लालू की जीवनी

आरजेडी में नयी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन हुआ है. आज उसकी पहली बैठक राबडी देवी के आवास पर थी. बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही लालू की जीवनी का बड़ा बंडल वहां पहुंचा. फिर मंच से फरमान आया. ये किताब ही आरजेडी के नेताओं को मुकाम तक पहुंचने का रास्ता बतायेगा. लिहाजा बैठक में मौजूद हर नेता लालू प्रसाद यादव की जीवनी जरूर खरीदें. 

लालू प्रसाद यादव की जीवनी गोपालगंज से रायसीना का प्रिंट रेट 295 रूपये है. हालांकि ऑनलाइन या दुकानों से खरीदने पर इस पर भारी छूट भी दी जा रही है. लेकिन पार्टी की आज की बैठक में नेताओं को इसे 200 रूपये में बेचा गया. उन्हें बताया गया कि इस किताब को छपवाने में वैसे तो 400 रूपये खर्च हुए हैं लेकिन पार्टी के नेताओं को इसे सिर्फ 200 रूपये में दिया जा रहा है. उन्हें खास तौर पर हिदायत दी गयी कि वे इस किताब को जरूर पढ़े और लालू यादव के संदेश को जन जन तक पहुंचायें.

जगदानंद ने किताब का रेट गलत बताया

बैठक के बाद FIRST BIHAR ने जगदानंद सिंह ने किताब को लेकर सवाल पूछा. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद ने कहा कि 400 रूपये की किताब पार्टी के नेताओं को 200 रूपये में दी गयी है. हालांकि जब हमारे संवाददाता ने उन्हें बताया कि किताब की कीमत सिर्फ 295 रूपये है तो जगदानंद ने कहा कि फिर भी 95 रूपये कम पर किताब दी गयी है. 

पत्रकार नलिन वर्मा ने लिखी है लालू की आत्मकथा

लालू प्रसाद की आत्मकथा को पत्रकार नलिन वर्मा ने लिखा है. चारा घोटाले मामले में लालू के सजा काटने के दौरान ही इस किताब को लिखा गया. हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में छपी इस किताब को बाजार में खरीददार कम ही मिले. लिहाजा अब इसे RJD के नेताओं के बीच बेचा जा रहा है.