PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासत में जहर का जिक्र बार-बार हो रहा है। शुरूआत उपेन्द्र कुशवाहा के एक बयान से हुई। रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा था कि वे जहर पीने को तैयार हैं इस बयान को उनकी राजनीतिक मजबूरियों से जोड़कर देखा गया था। कल एनडीए में जाने का एलान करते हुए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्होंने जहर नहीं एनडीए का अमृत पिया है। अब जहर का जिक्र एक बार फिर इसलिए है क्योंकि कांग्रेस ने यह साफ किया है कि वो आरजेडी के साथ मजबूती से खड़ी है लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा की तरह जहर नहीं पिएगी यानि सीटों को लेकर बहुत समझौता नहीं करेंगी।
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि सीटों को लेकर महागठबंधन में कोई बातचीत नहीं हुई है लेकिन आरंभिक बातचीत से हम आशान्वित हैं कि सभी पार्टियों को उनका वाजिब हक मिलेगा। आरजेडी बिहार में एक बड़ी पार्टी है, जेडीयू और बीजेपी से ज्यादा विधायक उनके पास है इसलिए जाहिर है उसकी भूमिका बड़ी होगी। प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि हमारी भी अपेक्षा है कि हम पिछली बार जितनी सीटों पर चुनाव लड़े थे उससे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। समय आने पर इन चीजों पर फैसला आलाकमान लेंगे।
तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी पर प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि अभी इस पर महागठबंधन में कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन जाहिर है आरजेडी बड़ी पार्टी है इसलिए सीएम का चेहरा तो उसी पार्टी से होगा। हमारा लक्ष्य एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकना है। पिछली बार जेडीयू भी महागठबंधन का हिस्सा थी इस बार जेडीयू साथ नहीं है। पिछली बार जो सीटें जेडीयू के हिस्से गयी इस बार उन सीटों को महागठबंधन के सभी दल आपस में बांट लेंगे। कुल मिलाकर बात यह है कि भले हीं उपेन्द्र कुशवाहा ने यह कहा हो कि महागठबंधन की तरफ से सीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा इसका फैसला महागठबध्ंान करेगी लेकिन कांग्रेस ने तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी को लेकर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। कांग्रेस यह समझ चुकी है कि आरजेडी सबसे ज्यादा सीटों वाली पार्टी है, इसलिए आरजेडी और तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करना हीं होगा हांलाकि सीटों को लेकर कांग्रेस बहुत समझौते के मूड में नहीं है इसलिए पार्टी की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि पिछली बार की तुलना में इस बार ज्यादा सीटें चाहिए।