PATNA : कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्य विभाग की विफलता ने नीतीश सरकार की खूब फजीहत कराई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से दिए गए हर टारगेट पर स्वास्थ्य विभाग फेल साबित हुआ है। इसी का नतीजा है कि शनिवार को मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत पर भड़क गए थे। कैबिनेट की बैठक में ही जमकर कुमावत की क्लास लगाई थी और यहां तक कह दिया था कि अगर विभाग का कामकाज नहीं संभलता तो इसकी जानकारी दे दीजिए।
सरकार की नजर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत पर टेढ़ी है। मुख्यमंत्री का यह कहना है कि वह लापरवाह अधिकारियों पर जल्द एक्शन लेंगे। इसे कुमावत से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन अब एक बार फिर से कुमावत की जगह प्रधान सचिव रह चुके संजय कुमार की वापसी की मांग उठने लगी है। संजय कुमार कोरोना काल की शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव थे और उन्होंने अच्छे तरीके से काम किया था। कुमावत से केवल सरकार ही नहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए की बिहार शाखा भी नाराज है। आईएमए की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र भी लिखा गया है। इस पत्र में कुमावत की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उनकी जगह संजय कुमार को वापस प्रधान सचिव बनाए जाने की मांग की गई है। आईएमए ने आरोप लगाया है कि कुमावत डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर संवेदनशील नहीं है और कई बार उनकी वजह से डॉक्टरों को परेशानी उठानी पड़ती है। सरकार से आईएमए की मांग ऐसे वक्त में हुई है जब खुद कुमावत से नाराज हैं। सत्ता के गलियारे में अब चर्चा इस बात की है कि कहीं आईएमए के इस पत्र को आधार बनाकर कुमावत को निपटा न दिया जाए।
संजय कुमार को जब प्रधान सचिव के पद से हटाया गया था तब भी यह खबरें आई थी की स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की शिकायत पर संजय कुमार को चलता कर दिया गया। मंगल पांडे और संजय कुमार के बीच पटरी नहीं बैठ रही थी। हालांकि जानकार यह मानते हैं कि संजय कुमार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोई नाराजगी नहीं थी लेकिन विभागीय मंत्री की आपत्ति के बाद उन्हें हटाया गया। अब ऐसे में अगर वाकई कुमावत की छुट्टी होती है तो क्या मंगल पांडे के रुख में बदलाव होगा और वह संजय कुमार की वापसी अपने विभाग में होने देंगे यदि एक बड़ा सवाल है।