PATNA: उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजस्थान की सरकार ने जब कोटा में फंसे 18 हजार बिहारी छात्रों के ट्रेन का किराया देने से हाथ खड़ा कर दिया तब बिहार ने करीब एक करोड़ का भुगतान कर 16 विशेष ट्रेन के जरिए सभी वापस लाया. इन छात्रों को वापस लाने के लिए कांग्रेस और राजद के लोगों ने 3 हजार बसें और 500 ट्रेन देने का थोथा वायदा किया. लेकिन जब छात्रों को लाने की बारी आई तो वे लापता हो गए. अगर राजद-कांग्रेस के लोगों में नैतिकता बची हो तो उन्हें छात्रों को लाने से बच गई. राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करा देना चाहिए.
मोदी ने कहा कि 1200 विशेष श्रमिक ट्रेन के जरिए अब तक 15 लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार आ चुके हैं। राजस्थान के कोटा से आने वाली ट्रेन के अलावा किसी भी अन्य दूसरे राज्यो से आने वाली ट्रेन के लिए बिहार सरकार को किराया जमा नहीं करना पड़ा है. क्योंकि जहां से ट्रेन खुलती है, किराया की व्यवस्था करना उस राज्य की जिम्मेवारी है। राज्य सरकार का निर्णय है कि जिन श्रमिकों को किराया देना पड़ा है, क्वरेंटाइन के बाद उन्हें उसका भुगतान किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि 1200 किमी. दूर कोटा में फंसे 18 हजार छात्रों को लाने के लिए करीब 750 बसों की जरूरत पड़ती और उन्हें कम से कम 4 दिन की परेशानी भरा सफर करना पड़ता। मगर राज्य सरकार की पहल पर केन्द्र से मिली विशेष ट्रेन के जरिए महज 17-18 घंटे में सकुशल अपने घर आए छात्रों व उनके अभिभावकों की खुशी राजद और कांग्रेस को देखी नहीं जा रही है। कोटा के छात्रों को झांसा देने वाली कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी को खुश करने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को केरल भेजने के लिए 3 बसों का किराया चुकाया। बिहारियों की सहायता के लिए फर्जी टाॅल फ्री नम्बर जारी करने वाली कांग्रेस को बताना चाहिए अब तक उसने कितने बिहारियों को लाने का खर्च उठाया है।