PATNA: कल बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने एनडीए में जाने का एलान कर दिया। मांझी के इस फैसले पर उनकी पार्टी के कई नेताओं ने असहमति जतायी। मांझी की पार्टी से नालंदा से लोकसभा का चुनाव लड़े अशोक आजाद और औरंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले जेडीयू के पूर्व एमएलसी और हम के कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र प्रसाद ने बगावत कर दी और कहा कि हम एनडीए के साथ नहीं जाएंगे। इसके बाद ‘हम’ ने इन दोनों बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई, उन्हें यह कहते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया कि ये लोग लालू के एजेंट की भूमिका में थे और लालू के कहने पर हीं ‘हम’ ने उन्हें टिकट दिया था।
इस बयान पर आरजेडी ने पलटवार किया है और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को कठपुतली बता दिया है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब वे एनडीए में थे तो उनका टिकट पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार बांट रहे थे। महागठबंधन में आए तो कहा कि लालू के कहने पर टिकट बांटा अब जब फिर नीतीश कुमार के साथ गये हैं तो उन्हीं के इशारे पर टिकट बांटेंगे। लोकतंत्र में नेताओें की असली पतवार जनता होती है मांझी की पतवार जनता ने पकड़ने से इनकार कर दिया।
महागठबंधन ने लोकसभा चुनाव में मांझी के हाथों में पतवार थमायी लेकिन उन्होंने नाव डूबा दिया। अब एनडीए में गये हैं तो एनडीए की नाव डुबाएंगे। मांझी का अपना कोई वजूद नहीं है। 2015 में एनडीए के सवार पर रहते हुए चुनाव हार गये। एक बार फिर वे डूबने वाले नाव पर सवार हैं। हमने उनको खूब सम्मान दिया। उनके बेटे के विधानपार्षद बनाया। न वे नीतीश के हुए न हीं आरजेडी के हुए। राजनीति में धैर्य होना जरूरी है।