DESK : बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के पाली हिल स्थित ऑफिस को बीएमसी द्वारा तोड़े जाने के मामले पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना के ऑफिस में हुए नुकसान का मूल्यांकन करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि कंगना द्वारा तोड़फोड़ में हुए नुकसान के बयान का वह समर्थन नहीं करता है.
हालांकि कोर्ट ने माना कि ये सभी चीजें कंगना को धमकाने के मकसद से की गईं थी और उसके पीछे की BMC की मंशा ठीक नहीं थी. दिए गए नोटिस और की गई तोड़फोड़ असल में कंगना को धमकाने के लिए थी. कोर्ट ने कहा कि कंगना को हर्जाना दिए जाने के लिए दफ्तर में हुई तोड़फोड़ का मूल्यांकन किया जाए और इस मूल्यांकन की जानकारी कंगना और BMC दोनों को होनी चाहिए.
कोर्ट ने बीएमसी को आदेश दिया है कि जो भी हर्जाना होगा वो BMC के द्वारा भरा जाएगा. कोर्ट ने कहा कि कंगना BMC से दफ्तर को दोबारा बनाने के लिए आवेदन करेंगी. कोर्ट ने ये भी कहा कि वह BMC को इस बात का भी आवेदन दे सकती हैं कि दफ्तर के जो हिस्से टूटे नहीं हैं उन्हें दोबारा से सुव्यवस्थित किया जाए. कोर्ट का ये फैसला दफ्तर में हुई तोड़फोड़ के बाद करीबन 2 महीने तक चली बहसों के बाद सुनाया गया है.
दूसरी तरफ कोर्ट ने कंगना के द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों और पोस्ट पर उन्हें फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि कंगना को सोच समझ कर बोलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि विषय दफ्तर को तोड़ा जाना है न कि ट्वीट में कही गई बातें. वहां पर बहुत सा काम रुका पड़ा है. कोर्ट ने कहा कि वह कंगना द्वारा दिए गए बयान हालांकि गैरजिम्मेदाराना हैं लेकिन बेहतर तरीका यही है कि ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया जाए.
जहां तक कंगना द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों और पोस्ट का सवाल है तो कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोच समझ कर बोलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि विषय दफ्तर को तोड़ा जाना है न कि ट्वीट में कही गई बातें. वहां पर बहुत सा काम रुका पड़ा है. कोर्ट ने कहा कि वह कंगना द्वारा दिए गए बयान हालांकि गैरजिम्मेदाराना हैं लेकिन बेहतर तरीका यही है कि ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया जाए.