Bihar Politics: कहीं के नहीं रहे पशुपति पारस, खाली करना पड़ा पटना का सरकारी बंगला, अमित शाह से गुहार का कोई फायदा नहीं

Bihar Politics: कहीं के नहीं रहे पशुपति पारस, खाली करना पड़ा पटना का सरकारी बंगला, अमित शाह से गुहार का कोई फायदा नहीं

PATNA : तीन साल पहले भतीजे चिराग पासवान से दुश्मनी मोल लेने वाले पशुपति कुमार पारस के पास अब कुछ नहीं बचा. मंत्री की कुर्सी गयी, सांसद भी नहीं रहे. पार्टी सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गयी और आज पटना का सरकारी बंगला भी चला गया. पटना में लोक जनशक्ति पार्टी के दफ्तर के नाम पर अलॉट सरकारी बंगले पर पशुपति पारस का कब्जा था. सोमवार को पारस ने बंगला खाली कर दिया.


वैसे, इस बंगले को बचाने के लिए पारस ने हर जतन किया था. दिल्ली जाकर अमित शाह से गुहार लगा आय़े थे. पटना हाईकोर्ट में रिट दायर की थी. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अमित शाह ने उनका नोटिस नहीं लिया और हाईकोर्ट ने दो सप्ताह पहले ही बंगला रहने देने की याचिका खारिज कर दी थी.

सरकार ने रद्द कर दिया था आवंटन

दरअसल, बिहार सरकार ने सभी मान्यता प्राप्त दलों को पटना में ऑफिस के लिए सरकारी बंगला देने का प्रावधान किया हुआ है. 2005 में ही पटना एयरपोर्ट के पास व्हीलर रोड के एक नंबर बंगले को लोक जनशक्ति पार्टी के ऑफिस के लिए राज्य सरकार की ओर से अलॉट किया गया था. बंगले का अलॉटमेंट दो साल के लिए होता है. हर दो साल के बाद सरकार अलॉटमेंट को और दो साल के लिए बढ़ाती है. 

पिछले लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस की पार्टी ने किसी सीट पर चुनाव ही नहीं लड़ा. नतीजतन उनकी पार्टी में ना कोई विधायक रहा औऱ ना सांसद. लिहाजा, उऩकी पार्टी की मान्यता समाप्त हो गयी. इसके बाद 13 जून 2024 को बिहार सरकार ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर आवंटित बंगले का अलॉटमेंट रद्द कर दिया था. भवन निर्माण विभाग ने बंगला खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया था. 

पार्टी के विभाजन के बाद भी पारस का था कब्जा

लोक जनशक्ति पार्टी के ऑफिस के नाम पर पटना के व्हीलर रोड में बंगला तो अलॉट हुआ था. लेकिन 2021 में इस पार्टी का ही विभाजन हो गया. पशुपति कुमार पारस ने पांच सांसदों को साथ लेकर पार्टी तोड़ी. उन्होंने अपनी नयी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया. उधर, चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से पार्टी बनायी. लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर मिले सरकारी बंगले पर पशुपति पारस का ही कब्जा रहा. पारस न सिर्फ इस बंगले से अपना ऑफिस चला रहे थे बल्कि इसमें अपना आवास भी बना रखा था. 

अमित शाह से नहीं मिली मदद

इसी साल सितंबर में पशुपति पारस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद पारस गदगद थे. उन्हें लग रहा था कि बीजेपी ने अब गले लगा लेगी. इसके बाद बंगला का मामला तो ऐसे ही खत्म हो जायेगा. लेकिन मुलाकात के बाद अमित शाह और बीजेपी ने पारस का कोई नोटिस नहीं लिया. 

कोर्ट से गुहार काम नहीं आयी

वहीं, पटना हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) को आवास खाली करने के मामले में कोई राहत नहीं दी थी. पिछले 29 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट में जस्टिस मोहित कुमार शाह की बेंच ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की याचिका पर पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा आवंटन रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी नये सिरे से आवास आवंटन के लिए आवेदन कर सकती है. राज्य सरकार उस पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई करेगी. कोर्ट के फैसले के बाद पारस की पार्टी ने राज्य सरकार के पास गुहार लगायी थी लेकिन सरकार ने उसे आवास नहीं दिया. 

ऐसे में मजबूर होकर आज पारस ने अपना बंगला खाली कर दिया. सवाल ये है कि पारस की पार्टी कहां से चलेगी. फिलहाल उनकी पार्टी का पटना में कोई कार्यालय नहीं है. दिल्ली में भी पारस के घर में कार्यालय होने की जानकारी दी जाती है. लेकिन पशुपति पारस की पार्टी का पूरे देश में कोई कार्यालय नहीं बचा.