PATNA : बिहार की राजनीति अक्सर जोखिम भरी रही है। यहां लालू प्रसाद जैसे कुछ नेताओं ने एक पतली रेखा पर चलने को एक कला बना दिया है। तो वहीं बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक अलग रूप के लिए जाना गया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो राजनीतिक माहौल बना रहे हैं उसमें नीतीश कुमार की छवि को बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार की जुबान फिसलने के वजह से लोकसभा चुनाव में उन्हें बड़ा झटका लग सकता है।
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर कहते थे कि अगर उन्हें सीएम के रूप में अपनी उपलब्धियों को एक फ्रेम में दिखाना है तो वह सबसे पहले साइकिल से स्कूल जाती लड़कियों का एक स्केच बनाएंगे। उसके बाद घर महिला के साथ बैठा पुरुष और उसके बच्चे दिखाई देंगे। सीएम नीतीश की यह बात शायद सही और सटीक भी हैं, क्योंकि नीतीश कुमार के कार्यकाल से पहले शायद ही बिहार की लड़कियां हाई स्कूल में जाकर पढ़ाई करती होगी। लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल योजना को पूरे देश में एक सफलता के रूप में स्वीकार किया गया।
इससे लड़कियों के बीच साक्षरता दर में सुधार हुआ। इतना ही नहीं यह एक यह शोध अध्ययन का विषय बन गया। लेकिन, अब मंगलवार की घटना के बाद जेडीयू सुप्रीमो के लिए स्थिति बदल गई है। पहले विधानसभा और फिर विधान परिषद की लाइव कार्यवाही के दौरान उन्होंने आपत्तिजनक बयान दे दिया। यह बयान महिलाओं और लड़कियों से जुड़ा हुआ था। उनके पीछे बैठे उनकी पार्टी के नेता घबरा गए, हालांकि हस्तक्षेप नहीं किया। उसे बाद अब जीतन राम मांझी जो उनसे आयु में लगभग 7 साल बड़े हैं उनसे तू - तड़ाक के लहजे में बात करना नीतीश कुमार को बड़ा नुकसान दे सकता है।
यहां पिछले कई सालों से नीतीश कुमार की राजनीति पर नजर जमाए लोग से बातचीत की जाती है तो यह भी यह बात मानते हैं कि नीतीश कुमार ने बिहार की छवि जरूर सुधारी है। लिहाजा उन्हें "विकास पुरुष" और "सुशासन बाबू" का उपमा दिया। लेकिन, अब वह जिस तरह का बर्ताव कर रहे हैं उससे बिहार की न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी बदनामी हुई है और यह भी अपने आप में एक इतिहास तैयार कर रहा है। लिहाजा विपक्ष इसे मुद्दा बनाएगी और जाहिर की बात है की इस बर्ताव के कारण बेहतर काम करते हुए भी नीतीश कुमार को नुकसान उठाना पड़ेगा।
इतना ही नहीं एक जमाने में नीतीश कुमार के काफी करीबी या यूं कह लें अभी भी बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के अच्छे मित्रों की लिस्ट में टॉप फाइव में जगह बनाने वाले नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भी बातचीत में कहते हैं- नितीश कुमार से ऐसी टिप्पणियां आश्चर्यचकित करने वाली थीं, क्योंकि नीतीश कुमार अपने शब्दों को लेकर कितने सावधान होते थे यह कीसी को बताने की जरूरत नहीं थी। लेकिन, आज वो कितने सावधान रहते हैं यह भी पता चल गया।
जबकि, जब हमारी बात भाजपा के एक और बड़े नेता से होती है तो वो नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते हैं कि - नीतीश कुमार के ऊपर राजद परिवार के तरफ से इतना दबाब बनाया गया है कि उन्हें अब बेचैनी होने लगी है। इसकी वजह यह है कि नीतीश का गठबंधन तेजस्वी को सीएम बनाने की बातों पर हुई थी और खुद को पीएम का चेहरा। लेकिन, जिस तरह से पिछले दिनों नीतीश कुमार का रवैया रहा है उससे तो और अधिक साफ़ हो गया है कि रेस में ये हैं ही नहीं, हालांकि इससे पहले भी विपक्षी गठबंधन ने इन्हें साफ़ कह दिया है कि आप पर हमें अधिक भरोसा नहीं है, हम साथ रहने को तो तैयार है लेकिन बतौर पीएम आपको मदद नहीं की जा सकती है।
आपको बताते चलें कि, 2009 के लोकसभा चुनावों में बिहार में एनडीए ने 40 में से 32 सीटें जीतीं। चुनाव में मतदान केंद्रों पर महिला मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं और उन्होंने नीतीश और मोदी की खुलकर प्रशंसा की। लेकिन, अब जो हालत बन रहे हैं उसमें जदयू के सीटिंग सीट में भी मुश्किलें नजर आ रही है। वैसे भी बिहार की राजनीति अक्सर जोखिम भरी रही है। नीतीश कुमार को हमेशा से ही लालू यादव, शररद यादव और राम विलास पासवान सहित अपने तेजतर्रार नेताओं के विपरीत उन्हें एक जन नेता के रूप में नहीं बल्कि एक वजनदार नेता के रूप में देखा जाता था। लेकिन, अब जो अपनी बातों से ही अपनी इस छवि को खो रहे हैं।