PATNA : शुक्रवार को जार्ज फर्नांडीज की पहली पुण्यतिथि थी. वही जार्ज जिन्हें नीतीश कुमार के सियासी सफर को मुकाम तक पहुंचाने वाला बताया जाता है. लेकिन समय का खेल देखिये, जार्ज फर्नांडीज की पहली पुण्यतिथि पर नीतीश कुमार ने एक लाइन की श्रद्धांजलि देना भी बाजिव नहीं समझा. नीतीश ही नहीं बल्कि पटना के जेडीयू दफ्तर में भी जार्ज को श्रद्धासुमन अर्पित करने की रस्म-अदायगी तक नहीं की गयी.
क्यों याद नहीं आये जार्ज
गौरतलब है कि ठीक एक साल पहले 29 जनवरी 2020 को दिल्ली के एक अस्पताल में जार्ज फर्नांडीज का निधन हो गया था. उनकी मौत के बाद का एक वीडियो खूब वायरल हुआ था. इसमें जार्ज के निधन से मर्माहत नीतीश कुमार मीडिया के सामने रो पड़े थे. लेकिन जार्ज की आज पहली पुण्यतिथि थी. नीतीश कुमार की ओर से कोई प्रेस रिलीज जारी कर श्रद्धांजलि की खबर नहीं आयी. हमने उनके ट्वीटर अकाउंट को भी दिन भर देखा. कोई श्रदांजलि नहीं.
पटना के जेडीयू दफ्तर में भी जार्ज की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें याद करने की रस्म अदायगी तक नहीं की गयी. वैसे जेडीयू दफ्तर में ढेर सारे नेताओं की जयंती-पुण्यतिथि मनायी जाती है लेकिन जार्ज फर्नांडीज को जगह नहीं मिली. हम आपको बता दें कि ये वही जार्ज हैं जिन्होंने आज के जेडीयू की नींव रखी थी. वैसे जेडीयू के दिल्ली दफ्तर की एक तस्वीर आयी है जिसमें जार्ज फर्नांडीज को श्रद्धांजलि दी जा रही है.
जार्ज का योगदान
अपने दौर में देश के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाने वाले जार्ज ने ही नीतीश कुमार को उस सियासी मुकाम तक पहुंचाया, जहां आज वे विराजमान हैं. 1994 में जार्ज फर्नांडीज ने ही जनता दल(जार्ज) और फिर समता पार्टी बनायी थी. इसी समता पार्टी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर 1995 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में करारी हार मिली. लेकिन 1998 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो जार्ज फर्नांडीज ने नीतीश कुमार को रेल मंत्री की कुर्सी दिलवायी थी. 2003 में इसी समता पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड के साथ हुआ और यही पार्टी आज तक बरकरार है.
हालांकि एक दौर में जार्ज को जनता दल यूनाइटेड में किनारे भी लगा दिया गया था. हालत ऐसे हुए थे कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जदयू का टिकट तक नहीं दिया गया था. जार्ज ने पटना एयरपोर्ट से नीतीश कुमार के आवास तक पैदल मार्च करने का एलान कर दिया था. वे मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव भी लडे. हालांकि उसी साल जब राज्यसभा के उप चुनाव हुए तो नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजा था.लेकिन वह तकरीबन एक साल का ही कार्यकाल था. काफी दिनों तक बीमारी से जूझने के बाद जार्ज का निधन 2020 में हो गया था.