DESK: निशाना साधने जा रहे तीरंदाज के हाथों से अगर तीर ही छिन लिया जाये तो क्या होगा. नीतीश कुमार इस सवाल का बेहतर जवाब दे सकते हैं. झारखंड चुनाव में पूरे दमखम से उतरने का एलान कर चुके नीतीश कुमार की पार्टी के चुनाव चिह्न को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया है. झारखंड में नीतीश के साथ वही हुआ जो उन्होंने बिहार में उन्होंने हेमंत सोरेन के साथ किया था.
झारखंड में नीतीश को नहीं मिलेगा तीर का निशान
चुनाव आयोग ने दो महीने बाद होने जा रहे झारखंड के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को तीर चुनाव चिह्न देने से मना कर दिया है. नीतीश कुमार को अब दूसरा चुनाव चिह्न तलाशना होगा. दरअसल उनकी पार्टी जदयू क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता प्राप्त है. लिहाजा बिहार में तो उन्हें तीर का निशान मिलना तय है लेकिन दूसरे राज्यों में चुनाव आयोग अपनी सुविधा के मुताबिक उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है.
झामुमो की शिकायत पर हुई कार्रवाई
दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने झामुमो के चुनाव चिह्न तीर धनुष को फ्रीज करा दिया था. नीतीश कुमार की पार्टी ने चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी कि तीर धनुष चुनाव चिह्न के कारण वोटरों में भ्रम फैलता है. वे तीर के बदले तीर धनुष पर बटन दबा देते हैं जिससे जदयू को काफी नुकसान होता है. जदयू की शिकायत पर चुनाव आयोग ने बिहार में झामुमो के चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया था. इस दफे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड में नीतीश की पार्टी के खिलाफ ऐस ही शिकायत कर दी. JMM ने चुनाव आयोग से कहा कि तीर चुनाव चिह्न ने उसे नुकसान हो रहा है. झामुमो की शिकायत पर चुनाव आयोग ने जदयू के निशान को झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए फ्रीज कर दिया है.