JDU ने फिर उठायी बिहार को विशेष दर्जे की मांग, नीति आयोग की रिपोर्ट में पिछड़ने का जिम्मेदार केंद्र को ठहराने की प्रयास

JDU ने फिर उठायी बिहार को विशेष दर्जे की मांग, नीति आयोग की रिपोर्ट में पिछड़ने का जिम्मेदार केंद्र को ठहराने की प्रयास

PATNA : नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी साबित हो गया और इसके साथ ही अब नए सिरे से बिहार में विशेष दर्जे को लेकर सियासत शुरू हो गई है। जनता दल यूनाइटेड ने एक बार फिर बिहार को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग दोहरा दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि बिहार को तुरंत विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की जरूरत है। त्यागी ने कहा है कि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट से बहुत कुछ ऐसा हो गया है। 


जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव ने नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के पिछड़े होने के बाबत सवाल किए जाने पर कहा है कि बिहार की स्थिति पहले से बहुत खराब थी, झारखंड का बंटवारा होने के बाद स्थिति और बिगड़ी और बिना विशेष दर्जे के इसमें कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं हो सकता. केसी त्यागी ने कहा कि उन्होंने कई फोरम पर इस बात को पहले भी रखा है. उनकी पार्टी ने कभी भी स्पेशल स्टेटस की मांग को नहीं छोड़ा और आज बिहार में जो कुछ बदलाव हुआ है वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है. केसी त्यागी के मुताबिक अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला होता तो आज हालात दूसरे होते. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार का प्रदर्शन कैसा होता यह वक्त तय कर देता.


जेडीयू नेता के मुताबिक राज्य सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं. बिहार जैसे राज्य के लिए संसाधनों की कमी है लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार ने बिहार में बहुत काम किया है. नीतीश कुमार की सरकार ने अपने बूते बिहार को जीडीपी में आगे रखा लेकिन झारखंड बंटवारे के साथ उद्योग धंधे, थर्मल पावर प्रोजेक्ट और खनिज संपदा झारखंड में चले गए और इसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ा.


नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद बिहार की हर जगह आलोचना हो रही है. ऐसे में अब जनता दल यूनाइटेड का प्रयास किया है कि बिहार की बदहाली का ठीकरा अकेले नीतीश कुमार के ऊपर ना फूटे. विशेष राज्य के दर्जे की मांग को उठाकर एक बार फिर केंद्र को भी जिम्मेदार ठहराए जाने की तैयारी शुरू हो गई है. केसी त्यागी ने जो कुछ कहा है वह बता रहा है कि आगे आने वाले दिनों में बिहार को स्पेशल स्टेटस देने का मुद्दा एक बार फिर गर्म आएगा और इसका असर आने वाले दिनों में अगर बीजेपी-जेडीयू के संबंधों पर पड़े तो कोई अचरज नहीं होगा.