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1st Bihar Published by: Updated Sun, 10 Jan 2021 03:38:40 PM IST
                    
                    
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PATNA : जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर विधायक उमेश कुशवाहा की ताजपोशी कर नीतीश कुमार ने सबको चौंका दिया. वशिष्ठ नारायण सिंह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ेंगे, यह बात पहले से साफ हो चुकी थी. चर्चा रामसेवक सिंह की थी जिनकी छवि बेहद साफ सुथरी रही है लेकिन अचानक से रामसेवक सिंह की जगह उमेश कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. उमेश कुशवाहा महनार से जेडीयू के विधायक है उनके ऊपर हत्या जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. उमेश कुशवाहा की वजह से पार्टी की भारी फजीहत भी हो चुकी है.
साल 2018 में जंदाहा प्रखंड प्रमुख मनीष सहनी की हत्या हो गई थी. इस मामले में उमेश कुशवाहा समेत से एक 11 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई. मनीष सहनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जिला सचिव भी थे. इनकी हत्या के बाद जमकर बवाल भी हुआ था और तब केंद्रीय मंत्री रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने इस मामले को लेकर नीतीश सरकार की जमकर घेराबंदी की थी.
आपको बता दें कि उस साल 13 अगस्त को प्रखंड प्रमुख मनीष सहनी बीडीओ से मुलाकात करने के लिए गए थे. उनसे मिलने के बाद जब वह कार्यालय से निकल रहे ते तभी दो अपराधियों ने उन पर फायरिंग कर दी. जिसमें मनीष सहनी गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे हाजीपुर से पटना रेफर किया गया लेकिन उसकी मौत हो गई. हत्या के 10 दिन पहले 2 अगस्त को ही मनीष सहनी प्रखंड प्रमुख के लिए चुने गए थे. मनीष करन के बड़े भाई ओम प्रकाश सहनी ने जंदाहा थाने में आवेदन देकर विधायक उमेश कुशवाहा समेत 11 लोगों पर एफ आई आर दर्ज कराई लेकिन बाद में इस मामले से उमेश कुशवाहा मुक्त कर दिए गए.
चुनाव के दौरान उमेश कुशवाहा ने जो एफिडेविट दिया है, उसके मुताबिक उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया है कि इस केस के आइओ ने चुनाव के वक्त तक रिपोर्ट नहीं सौंपी थी लेकिन उमेश कुशवाहा ने हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ कोई भी आरोप पत्र आइओ द्वारा समर्पित नहीं किया गया है जबकि केस का अनुसंधान पूरा किया जा चुका है. कुशवाहा के हलफनामे के मुताबिक न्यायालय द्वारा भी उनके खिलाफ कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.

पुलिस ने मनीष सहनी की हत्या के मामले में खुलासा करते हुए बताया था कि पूर्व प्रखंड प्रमुख जय शंकर चौधरी के साथ वर्चस्व की लड़ाई और शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में अवैध उगाही को लेकर उनकी हत्या हुई. इस मामले में पांच लाख की सुपारी दी गई थी. राकेश मामले में कोर्ट ने नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था. उमेश कुशवाहा के साथ-साथ अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी हुआ था.
उमेश कुशवाहा का विवादों से इतना गहरा रिश्ता रहा है कि उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद नीतीश कुमार कि सुशासन वाली यूएसपी पर सवाल उठ सकता है. राजनीतिक दल इस मामले को लेकर नीतीश कुमार से सवाल पूछ सकते हैं और यह मामला आगे तूल पकड़ सकता है.