JDU के भीतर क्यों हो रहा है खेल? RCP के स्वागत के होर्डिंग से ललन सिंह की तस्वीर गायब होने पर नीतीश भी नाराज, लेकिन कुछ नहीं कर सकते

JDU के भीतर क्यों हो रहा है खेल?  RCP के स्वागत के होर्डिंग से ललन सिंह की तस्वीर गायब होने पर नीतीश भी नाराज, लेकिन कुछ नहीं कर सकते

PATNA: JDU के भीतर शुरू खेल से नीतीश भी नाराज हैं. उन नेताओं पर गाज गिर सकती है जो आरसीपी सिंह की भक्ति में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को नकारने में लगे हैं. आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनने के बाद 16 अगस्त को पहली दफे पटना आ रहे हैं औऱ उनके समर्थकों ने स्वागत की तैयारी शुरू की है. खास बात ये है कि आऱसीपी सिंह के हार्डकोर समर्थकों की होर्डिंग से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का फोटो गायब है. जेडीयू सूत्र बता रहे हैं कि खुद नीतीश कुमार इससे नाराज हैं. वे उस खेल को समझ रहे हैं जो खुद आऱसीपी सिंह खेल रहे हैं. लेकिन नीतीश बेबस हैं, वे सब जानकर भी कुछ कर नहीं सकते. 


नीतीश बोले-गलती से छूट गया होगा

वैसे आज पत्रकारों ने नीतीश कुमार से इस बाबत सवाल पूछा. कैमरे के सामने उन्होंने नाराजगी नहीं जतायी. कहा-किसी किसी को शौक हो जाता है होर्डिंग लगाने का. उसी में छपवाने में गलती हो गयी होगी. लेकिन पार्टी में सब एक हैं. पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. मैंने तो खुद ही आऱसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाया था. उस समय किसी को मालूम तक नहीं था. वैसे ही आऱसीपी सिंह मंत्री बन गये तो ललन सिंह को अध्यक्ष बनाया गया. नीतीश ने कहा कि पार्टी में सब कुछ ठीक है.


लेकिन कैमरे के सामने की बात थी. कैमरे के पीछे नीतीश नाराज बताये जा रहे हैं. दरअसल वे उस खेल को समझ रहे हैं जो आऱसीपी सिंह दिल्ली में बैठ कर खेल रहे हैं. वहां से आ रहे दिशा निर्देश की खबर नीतीश कुमार को है. जेडीयू के सूत्र बता रहे हैं कि सियासी रोटी को ठंढ़ी करके खाने वाले नीतीश कुमार सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल वे कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हैं.


क्यों हो रहा है जेडीयू में खेल

जानकार बता रहे हैं कि खेल आऱसीपी सिंह के इशारे पर हो रहा है. नीतीश के सबसे खास माने जाने वाले आरसीपी सिंह ने बीजेपी से अपनी ही सेटिंग करके केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने लिए सीट पक्का करा लिया. नीतीश कुमार हैरान परेशान होकर देखते रह गये औऱ आरसीपी सिंह मंत्री बन गये. उसके बाद आरसीपी सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने तक को तैयार नहीं थे. जेडीयू सूत्र बताते हैं कि खुद नीतीश कुमार को सख्ती से ये कहना पड़ा कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोडे तब जाकर आरसीपी सिंह संगठन में मिली कुर्सी छोड़ने को तैयार हुए. वर्ना वे तो मीडिया के सामने ये कह चुके थे कि वे दोनों जिम्मेवारी निभाने को तैयार हैं.


आऱसीपी सिंह के स्वागत की क्यों हो रही तैयारी

दरअसल 6 अगस्त को ललन सिंह जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पटना आये. उनके स्वागत के लिए पटना की सड़कों पर जो नजारा दिखा वह जेडीयू के लिए अभूतपूर्व था. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष या किसी दूसरे नेता के स्वागत के लिए इतने बडे स्तर पर व्यवस्था नहीं की गयी थी. ललन सिंह के स्वागत का इंतजाम देखने के बाद आरसीपी सिंह कैंप ने अपनी ताकत दिखाने की तैयारी की. आरसीपी सिंह समर्थक एक नेता ने बताया कि दिल्ली से साहब का फरमान जारी हुआ है कि 16 अगस्त को पूरी ताकत दिखानी है. 16 अगस्त को ही आऱसीपी सिंह पटना आ रहे हैं.


ललन सिंह से दुश्मनी

जेडीयू में आरसीपी कैंप के नेताओं को जब अपने साहब का फरमान मिला तो जोर शोर से तैयारी शुरू कर दी गयी है. आरसीपी सिंह के पटना आने से 7-8 दिन पहले ही होर्डिंग लगना शुरू हुआ. शुरूआत की अभय कुशवाहा ने. अभय कुशवाहा आऱसीपी सिंह के हार्डकोर समर्थक हैं. पटना में उन्होंने जो होर्डिंग पोस्टर लगाया उसमें पार्टी के हर नेता की तस्वीर लगा दी. आऱसीपी सिंह के अलावा उसमें नीतीश कुमार औऱ जेडीयू के तकरीबन डेढ़ दर्जन नेताओं की तस्वीर नजर आ रही है. 


हद देखिये कि सरकार में शामिल एक निर्दलीय मंत्री तक की तस्वीर जेडीयू के होर्डिंग में है. लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तस्वीर नहीं है. अभय कुशवाहा ऑफ द रिकार्ड बातचीत में बता रहे हैं कि उन्होंने वैसा ही होर्डिंग बनवाया जैसा उपर से निर्देश मिला था. मीडिया से बातचीत में भी वे अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का फोटो नहीं लगाया. उल्टे वे कह रहे हैं कि ललन सिंह के स्वागत में जब होर्डिंग लगे थे तो उसमें प्रदेश अध्यक्ष का फोटो क्यों नहीं लगाया गया था. 


दो धड़े में बंटा जेडीयू

ये साफ दिख रहा है कि जेडीयू दो धड़ों में बंट गया है. दरअसल पिछले 10-12 सालों से जेडीयू पार्टी पूरी तरह से आऱसीपी सिंह के पॉकेट में रहा, अध्यक्ष चाहे कोई हो. जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में काम करने वाला चपरासी भी आऱसीपी सिंह की मर्जी से ही रखा गया है. संगठन में उसे ही जगह मिली जो आरसीपी सिंह का वफादार था. अब नीतीश कुमार आरसीपी सिंह को आउट करना चाहते हैं. लेकिन ज्यादातर पदों पर तो आऱसीपी सिंह समर्थक ही बैठे हैं. 


जेडीयू में आऱसीपी सिंह समर्थक ये देख रहे हैं कि ललन सिंह के पास उन्हें जगह मिलेगी नहीं. नीतीश कुमार डायरेक्ट बात करेंगे नहीं. लिहाजा उनके पास कोई ऑप्शन नहीं बचा कि वे आऱसीपी सिंह के साथ ही वफादारी निभाते रहे. शायद वहीं से कुछ मिल जाये. 


आरसीपी सिंह के स्वागत के लिए ताबड़तोड़ जा रहा है फोन

जेडीयू के एक नेता ने बताया कि 16 अगस्त को आरसीपी सिंह के स्वागत में पूरी ताकत के साथ आने के लिए ताबड़तोड़ फोन जा रहे हैं. खुद आरसीपी सिंह का फोन अपने कई खास नेताओं के पास जा चुका है. पार्टी के एक नेता ने तो बताया कि खुद प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का फोन लगातार नेताओं के पास जा रहा है कि 16 अगस्त को पटना में दमखम दिखाना है. दरअसल सिर्फ एख बार विधायक रहे उमेश कुशवाहा को आऱसीपी सिंह की अनुशंसा पर ही जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था. अब उमेश कुशवाहा भी वफादारी निभा रहे हैं. 


नीतीश के लिए मुश्किल

जेडीयू का ये नजारा नीतीश कुमार को मुश्किल में डाल रहा है. नीतीश कुमार जानते हैं कि आऱसीपी सिंह ललन सिंह के बहाने उन्हें ही चुनौती दे रहे हैं. लेकिन नीतीश की मजबूरी ये है कि वे आरसीपी सिंह को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते. पिछले 23 साल से आऱसीपी सिंह नीतीश कुमार के साथ साये की तरह रहे हैं. नीतीश कुमार के एक करीबी नेता ने बताया कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के इतने राज जानते होंगे जितना कोई पत्नी अपने पति के बार में नहीं जानती होगी. ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार आऱसीपी सिंह को पूरी तरह से खारिज भी नहीं कर सकते. लेकिन पार्टी में जो हो रहा है वह नीतीश कुमार के फ्यूचर प्लान को चौपट जरूर कर सकता है.