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1st Bihar Published by: Updated Sun, 01 Aug 2021 08:57:57 PM IST
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PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वे जातीय जनगणना के मामले में बीजेपी के खिलाफ तेवर औऱ कड़े करेंगे. नीतीश ने कहा कि वे सोमवार को ही प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर समय मांगने जा रहे हैं. नीतीश बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं, ताकि उन पर जातिगत जनगणना कराने का दबाव डाला जा सके.
क्या कहा नीतीश ने
नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना पर उनकी पार्टी का स्टैंड साफ है. शनिवार को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ये मांग किया था कि केंद्र सरकार जाति के आधार पर जनगणना कराये. नीतीश ने कहा कि उनकी ही पहल पर बिहार विधानसभा ने दो दफे सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है जिसमें देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की गयी है.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलेंगे
नीतीश ने कहा कि वे आज दिल्ली से लौटे हैं. कल ही जातिगत जनगणना को लेकर सारा काम करेंगे. सारे तथ्यों के साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे. इस पत्र में उनसे समय मांगा जायेगा ताकि बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल उनसे मुलाकात कर सके. नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री से समय मिल जाता है तो जिनको साथ चलना है वे चलेंगे. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना के मसले पर उनकी राय स्पष्ट है औऱ इसके लिए वे हर कोशिश करेंगे.
बीजेपी को फंसाना चाहते हैं नीतीश?
नीतीश कुमार बीजेपी के साझीदार हैं. प्रधानमंत्री से उनकी बात या मुलाकात होना कोई मुश्किल काम नहीं है. लेकिन जातिगत जनगणना के मामले में वे शुरू से ही मीडिया के जरिये अपनी बात रख रहे हैं. फिर तेजस्वी यादव ने मांग की तो वे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाकर प्रधानमंत्री से मिलने की बात कर रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार दो दिनों तक दिल्ली में थे. इससे पहले भी तकरीबन एक महीने पहले वे कई दिनों तक दिल्ली में थे. लेकिन उन्होंने एक दफे भी प्रधानमंत्री से मिलने का समय नहीं मांगा.
सियासी जानकार बताते हैं कि नीतीश की मंशा साफ झलक रही है. वे बीजेपी को फंसाना चाहते हैं. जातिगत जनगणना को लेकर वे बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं. बीजेपी के सामने उत्तर प्रदेश का चुनाव है. ये मामला तूल पकड़ता है को बीजेपी को उत्तर प्रदेश में नुकसान उठाना पड़ सकता है. यूपी चुनाव बीजेपी के लिए जीवन मरण का सवाल है. ऐसी स्थिति में नीतीश भाजपा पर दबाव बढ़ा रहे हैं.
उधर बीजेपी की स्थिति ऐसी हो गयी है जिसमें उसे ये मामला न निगलते बन रहा है और न उगलते. वह ना तो नीतीश का सपोर्ट कर सकती है औऱ ना ही नीतीश का विरोध. इसका फायदा नीतीश कुमार को बिहार सरकार में मिलेगा. नीतीश ने पहले ही 74 विधायकों वाली बीजेपी को राजकाज में किनारे लगा रखा है. जातिगत जनगणना का मसला इसलिए भी उठाया जा रहा है कि अगर सरकार में नीतीश के किसी फैसले पर बीजेपी आपत्ति जताये तो उसे जातीय जनगणना से ही जोड दिया जाये.